नयी दिल्ली, पांच दिसंबर केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित संवैधानिक मुद्दे से जुड़े मामले को एक बड़ी पीठ को संदर्भित करने के लिए एक नई याचिका दायर की है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी द्वारा केंद्र की याचिका का विरोध करते हुए कहा गया, “इससे केवल देरी होगी और इस तरह की रणनीति की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुरुआत में कहा, “ऐसे कोई तथ्य नहीं हैं जिनका खंडन किया जा सके। लेकिन, मैंने एक आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किया है जिसमें कहा गया है कि इस मामले (दिल्ली-केंद्र का मामला) को बड़ी पीठ को संदर्भित किया जा सकता है”।
सिंघवी ने प्रतिवेदन का विरोध करते हुए कहा कि यह शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा की मांग करने जैसा है, जिसमें कहा गया था कि इस मामले को एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता नहीं है और पक्षों के बीच एकमात्र मुद्दा दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित विवाद था।
सीजेआई ने कहा, “आईए पर क्या कार्रवाई की जानी है, इसका फैसला तब किया जा सकता है, जब संविधान पीठ इस पर सुनवाई करेगी।” उन्होंने कहा कि इसे सुनवाई के समय उठाया जा सकता है।
सीजेआई ने वकीलों को यह भी सूचित किया कि पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के न्यायाधीशों में से एक, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी अस्वस्थ थे, उन्होंने संकेत दिया कि छह दिसंबर को प्रस्तावित सुनवाई स्थगित हो सकती है।
न्यायालय ने 11 नवंबर को कहा कि वह दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच ‘‘राजनीतिक टकराव के वास्तविक क्षेत्र’’ से हटेगा और केवल राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण से जुड़े संवैधानिक मुद्दे पर विचार करेगा।
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