नयी दिल्ली, पांच मई भारतीय रिजर्व बैंक)(आरबीआई) चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ ही नीतिगत दरों में कुल 1.25-1.5 प्रतिशत तक कटौती कर सकता है। एसबीआई रिसर्च के एक अध्ययन में सोमवार को यह अनुमान जताया गया।
इसमें सुझाव दिया गया कि केंद्रीय बैंक को रेपो में आधा प्रतिशत की बड़ी कटौती करनी चाहिए, क्योंकि यह अधिक प्रभावी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में तेज गिरावट हुई है और यह मार्च, 2025 में 67 महीने के निचले स्तर 3.34 प्रतिशत पर आ गई है। खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से सुधार के चलते ऐसा संभव हो सका।
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की ‘मुद्रास्फीति और दर कटौती प्रक्षेप पथ’ शीर्षक वाली शोध रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए चालू कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 9-9.5 प्रतिशत की सीमा में रहने की उम्मीद है।
ऐसे में कम वृद्धि और कम मुद्रास्फीति को देखते हुए नीतिगत दरों में कटौती के लिए एक अच्छी गुंजाइश बनती है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘मार्च में बहु-वर्षीय निम्न मुद्रास्फीति और आगे चलकर सामान्य मुद्रास्फीति के अनुमान के साथ, हम जून और अगस्त में दर में 0.75 प्रतिशत की दर में कटौती और चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आधा प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। इस तरह कुल कटौती 1.25 प्रतिशत के करीब हो सकती है।’’
रिपोर्ट में कहा गया कि 0.25 प्रतिशत की कटौती करने के जगह 0.5 प्रतिशत की कटौती अधिक प्रभावी होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में डॉलर-रुपया विनिमय दर 85-87 रुपये के दायरे में रहने की उम्मीद है।
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