नई दिल्ली, 1 अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों से पराली जलाने से रोकने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रबंधों के बारे में पूछा है. पराली जलाना इन राज्यों में प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है. शीर्ष अदालत ने राज्यों से पिछले साल की पराली जलाए जाने की घटनाओं, उसके स्थानों और कितने किसान इसके लिए जिम्मेदार हैं, इस बारे में भी सूचित करने के लिए कहा है ताकि उन इलाकों के लिए पहले से ही विशेष प्रबंध किए जा सकें.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा, "पराली जलाए जाने के संबंध में, हम अगली तारीख को डिजिटल बैठक के जरिए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों से सुनना चाहेंगे कि पराली जलाने से रोकने के लिए उन्होंने क्या इंतजाम किए हैं क्योंकि वह समय नजदीक आ रहा है जब इसे जलाया जाना शुरू होगा."
पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, "इस बात को सामने रखें कि पराली जलाने के संबंध में पिछले साल ऐसे कितने मामले थे और कितने किसान जिम्मेदार थे और हलफनामे में यह भी बताया जाए कि किन-किन स्थानों पर यह जलाई गई क्योंकि इस साल उचित योजना के साथ पहले से ही इन इलाकों में विशेष प्रबंध करने होंगे." शीर्ष अदालत ने प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान आदेश पारित किया. इस मामले में वह पराली जलाने समेत विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रही है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एएफसी इंडिया लिमिटेड ने खेतों में ही पराली को समाप्त करने वाली नयी प्रौद्योगिकी विकसित है और संबंधित राज्यों को इस पहलु पर अपनी प्रतिक्रिया दायर करने के साथ ही उनक कदमों के बारे में बताना चाहिए जो वे इसे जलाने से रोकने के लिए उठाएंगे. अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को तय की है.
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