स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी नीति को मंजूरी दी गई: केंद्र सरकार

नयी दिल्ली, 11 नवंबर : केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को ‘स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता नीति’ तैयार किये जाने और इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंजूरी दिये जाने की जानकारी दी. केंद्र ने 10 अप्रैल, 2023 के शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला दिया और कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्कूली लड़कियों की मासिक धर्म स्वच्छता पर नीति बनाई जिसे दो नवंबर, 2024 को संबंधित मंत्री द्वारा मंजूरी दी गई. शीर्ष अदालत कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्यों को कक्षा छह और 12 के बीच की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय विद्यालयों में अलग महिला शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

लंबित मामले में दायर हलफनामे में कहा गया है, ‘‘इस नीति का उद्देश्य स्कूली छात्राओं के बीच ज्ञान, दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव को बढ़ावा देने के लिए सरकार की स्कूल प्रणाली के भीतर मासिक धर्म स्वच्छता को मुख्यधारा में लाना है, कम जागरूकता की बाधाओं से पार पाना है जो अक्सर उनकी स्वतंत्रता, गतिशीलता और दैनिक गतिविधियों में भागीदारी को प्रतिबंधित करती है.’’ केंद्र ने कहा कि नीति का उद्देश्य मासिक धर्म अपशिष्ट के पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन की व्यवस्था करने के अलावा हानिकारक सामाजिक मानदंडों को खत्म करना और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना है. यह भी पढ़ें : Jharkhand Elections 2024 Phase 1: झारखंड में 43 विधानसभा सीटों पर सुबह 9 बजे तक 13.4 प्रतिशत मतदान

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ 12 नवंबर को जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली है. केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि सरकारी, सरकार से सहायता प्राप्त और निजी सहित देश के 97.5 प्रतिशत से अधिक स्कूल छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा प्रदान करते हैं. इसमें कहा गया है कि दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किए गए और पिछले अदालती आदेशों का अनुपालन किया गया. इसने अदालत को यह भी बताया कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख और लड़कियों के लिए 17.5 लाख शौचालयों के अलावा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कों के लिए 2.5 लाख और लड़कियों के लिए 2.9 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया.