देश की खबरें | प्रधानमंत्री, भाजपा नेता बसवन्ना के बारे में बोलते हैं, लेकिन उनकी शिक्षाओं का अनुसरण नहीं करते : राहुल

विजयपुरा, 23 अप्रैल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को 12वीं सदी के समाज सुधारक बसवन्ना की जयंती पर उनका जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य नेता केवल अपने भाषणों में लिंगायत समुदाय के इस महान दार्शनिक के बारे में केवल बातें करते हैं, लेकिन उनकी शिक्षाओं का अनुसरण नहीं करते।

कर्नाटक की भाजपा सरकार को ‘देश की सबसे भ्रष्ट सरकार’ बताते हुए राहुल ने दावा किया कि कांग्रेस राज्य में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों में कुल 224 सीटों में 150 सीटों पर जीत दर्ज करेगी, जबकि ‘40 फीसदी वाली भाजपा सरकार’ को सिर्फ 40 सीटों से संतोष करना पड़ेगा।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कर्नाटक के ठेकेदारों की उन शिकायतों की तरफ इशारा कर रहे थे, जिनमें उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार ने सरकारी ठेकों के बदले उनसे 40 फीसदी कमीशन की मांग की थी।

राहुल ने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “बसवन्ना ने कहा था कि डरें मत, सच बोलें। आज अगर हम देखें, तो भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की विचारधारा है, जो देश में नफरत और हिंसा का माहौल पैदा कर रही है। प्रधानमंत्री और भाजपा नेता बसवन्ना के बारे में बोलते हैं, लेकिन उनकी शिक्षाओं का अनुसरण नहीं करते।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि बसवन्ना ने समाज के कमजोर तबके की मदद करने की सीख दी थी, ये नहीं कहा था कि ‘अरबपतियों की मदद करें।’

उन्होंने कहा, “मैंने बसवन्ना की शिक्षाओं के बारे में पढ़ा है। उन्होंने कहीं भी नहीं लिखा है कि ‘देश की दौलत अडाणी के हाथों में दे दें।’ मैंने संसद में यह मुद्दा उठाया, मैंने प्रधानमंत्री से पूछा कि अडाणी से उनका क्या रिश्ता है? देश की पूरी दौलत, बंदरगाह और हवाईअड्डे अडाणी को दिए जा रहे हैं; आप दोनों का रिश्ता क्या है?”

राहुल ने आरोप लगाया कि इन सवालों को पूछने के लिए पहले तो संसद में उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया, फिर उनका भाषण संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया और अंतत: उनकी लोकसभा सदस्यता भी समाप्त कर दी गई।

कांग्रेस नेता ने कहा, “उन्हें लगता है कि सच सिर्फ लोकसभा में बोला जा सकता है, लेकिन यह कहीं भी बोला जा सकता है, यहां तक कि इस जनसभा में भी।”

राहुल ढोल-नगाड़ों की आवाज के बीच शिवाजी सर्कल से कनकदास सर्कल तक एक विशाल रोड शो निकालने के बाद विजयपुरा में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।

इस जनसभा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के सी वेणुगोपाल, कर्नाटक कांग्रेस अभियान समिति के प्रमुख एम बी पाटिल और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जरकीहोली सहित कई अन्य नेता मौजूद थे।

राहुल ने रविवार सुबह कुदाल संगम से कर्नाटक के अपने दो दिवसीय दौरे की शुरुआत की, जहां उन्होंने बसवेश्वर की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

बसवन्ना के नाम से भी जाने जाने वाले बसवेश्वर लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक थे। वहीं, कुदाल संगम कर्नाटक के प्रभावशाली समुदायों में से एक लिंगायत संप्रदाय का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

राहुल के कर्नाटक दौरे को राज्य में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लिंगायत समुदाय के लोगों के बीच पार्टी की पहुंच बढ़ाने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।

कर्नाटक की आबादी में लिंगायत समुदाय की 17 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है। इस समुदाय को मुख्यत: सत्तारूढ़ भाजपा का वोट बैंक माना जाता है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)