नयी दिल्ली, 12 फरवरी केन्द्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी बलवंत राजोआणा की मौत की सजा बदलने के लिए दायर याचिका का मामला राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष विचाराधीन है और वह इस पर फैसला लेंगे।
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की एक पीठ को केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर तुषार मेहता ने बताया कि राजोआना ने सिखों के लिए अलग देश ‘खालिस्तान’ की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या की।
मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘प्रक्रिया शुरू हो गई है और राष्ट्रपति इस पर फैसला लेंगे। यह वह मामला है, जिसमें दोषी पर खालिस्तान के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या करने का आरोप है।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थतियों में केन्द्र को छह सप्ताह का समय दिया जाए।
पीठ ने मेहता से पूछा, ‘‘यह अच्छी बात है कि महामहिम राष्ट्रपति इस मामले पर फैसला करेंगे। क्या आप समयसीमा दे सकते हैं जिसमें फैसला ले लिया जाएगा।’’
इसपर मेहता ने कहा कि वह अदालत को राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लेने में लगने वाले समय के बारे में नहीं बता सकते हैं।
इसपर पीठ ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर आप राष्ट्रपति के बारे में नहीं कह सकते हैं लेकिन आप सरकार के बारे में हमें जरूरत बताएं।’’
पीठ ने मेहता का अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को राजोआणा की मौत की सजा बदलने के लिए दायर याचिका पर फैसला करने के लिए केन्द्र को ‘‘आखिरी मौका’’ देते हुए दो सप्ताह का समय दिया था।
सुनवाई के दौरान राजोआणा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था, ‘‘ यह व्यक्ति (राजोआणा) पिछले 25 साल से जेल में कैद है और उसकी दया याचिका गत नौ साल से लंबित है। ’’
गौरतलब है कि राजोआणा पंजाब पुलिस का पूर्व कांस्टेबल है और उसे 1995 में पंजाब सचिवालय के समक्ष हुए धमाके में शामिल होने का दोषी ठहराया गया है, जिसमें बेअंत सिंह और अन्य 16 लोगों की मौत हो गई थी।
शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को केंद्र से कहा था कि वह राजोआणा की मौत की सजा बदलने की याचिका पर 26 जनवरी तक फैसला ले।
अदालत ने केन्द्र को दो-तीन हफ्ते का समय देते हुए प्रक्रिया 26 जनवरी से पहले पूरी करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि 26 जनवरी अच्छा दिन है और यह उचित होगा अगर सरकार उससे पहले फैसला ले।
राजोआणा के वकील ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल की दया याचिका वर्ष 2012 से लंबित है। वहीं शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति की मौत की सजा में आठ साल से अधिक देरी होती है, तो उसकी सजा बदली जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल चार दिसंबर को केंद्र से राजोआणा की मौत की सजा को बदलने की अर्जी राष्ट्रपति को भेजने में हुई देरी को लेकर केंद्र से सवाल किया था।
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