
मुंबई, 11 जून केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) मामलों की एक विशेष अदालत ने गंभीर आर्थिक अपराधों के आरोपी व्यवसायी की कई देशों की यात्रा की अनुमति का अनुरोध करने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विदेश यात्रा का अधिकार ‘‘कोई पूर्ण अधिकार’’ नहीं है।
न्यायाधीश बीवाई फड द्वारा 10 जून को पारित आदेश में प्रस्तावित यात्रा के दिनों, प्रकृति और मौजूदा सुनवाई पर प्रभाव को लेकर चिंताओं का हवाला दिया गया।
विशेष अदालत ने कहा कि विदेश यात्रा का अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अभिन्न अंग है, लेकिन जैसा बंबई उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आदेश में कहा कि यह आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे आरोपी के लिए ‘‘कोई पूर्ण अधिकार’’ नहीं है।
याचिकाकर्ता परीन संघवी पर गंभीर आर्थिक अपराधों का आरोप है और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया है।
फिलहाल जमानत पर बाहर संघवी ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, सिंगापुर, ब्रिटेन, अमेरिका, इटली, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, स्पेन, यूरोप के अन्य हिस्सों, श्रीलंका, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, चीन, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, फिलीपीन, जॉर्जिया, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के अन्य देशों की यात्रा करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
यात्रा का उद्देश्य व्यावसायिक गतिविधियां और ‘गुणवत्ता निरीक्षण’ के लिए विभिन्न कंपनियों का दौरा बताया गया था।
याचिका के मुताबिक, संघवी ने 12 जून से 31 दिसंबर, 2025 के बीच यात्रा की अनुमति मांगी थी।
अदालत ने कहा कि कई देशों की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा कि याचिका में प्रत्येक देश की यात्रा की तारीख, जिन कंपनियों का दौरा किया जाना है उनके नाम सहित विभिन्न विशिष्ट विवरणों का अभाव है।
न्यायाधीश ने आरोपी के सुनवाई से बचने या देरी करने के प्रयास या फिर भारत वापस नहीं आने की अभियोजन पक्ष की आशंकाओं का हवाला दिया।
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, “इतने सारे देशों से किसी आरोपी का पता लगाना और उसे प्रत्यर्पित करना वास्तव में बहुत कठिन काम होगा।”
जितेंद्र
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