देश की खबरें | जुर्माना भरने का यह मतलब नहीं है कि मैंने उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार कर लिया है: भूषण
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 14 सितम्बर अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को कहा कि अवमानना मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा उन पर लगाये गये एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना भरने का यह मतलब नहीं है कि उन्होंने फैसला स्वीकार कर लिया है और वह इस पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर करेंगे।

भूषण के दो ट्वीट को अदालत की अवमानना के रूप में देखा गया और शीर्ष अदालत ने उन पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था।

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शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जुर्माना जमा करने वाले भूषण ने कहा कि जुर्माना भरने के लिए उन्हें देश के कई कोनों से योगदान मिला है और इस तरह के योगदान से ऐसा ‘‘ट्रूथ फंड’’ (सत्य निधि) बनाया जायेगा जो उन लोगों की कानूनी मदद करेगा जिन पर असहमतिपूर्ण राय व्यक्त करने के लिए मुकदमा चलाया जाता है।

भूषण ने जुर्माना भरने के बाद मीडिया से कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि मैं जुर्माना भर रहा हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने फैसला स्वीकार कर लिया है। हम आज एक पुनर्विचार याचिका दायर कर रहे हैं। हमने एक रिट याचिका दायर की है कि अवमानना के तहत सजा के लिए अपील की प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए।’’

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वकील ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी पर भी बात की और कहा कि सरकार आलोचना बंद करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है।

उच्चतम न्यायालय ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने के कारण आपराधिक अवमानना के दोषी भूषण पर एक रुपए का सांकेतिक जुर्माना लगाया था।

न्यायालय ने कहा था कि भूषण को जुर्माने की एक रुपये की राशि 15 सितंबर तक जमा करानी होगी और ऐसा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की कैद भुगतनी होगी तथा तीन साल के लिए वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा।

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