नयी दिल्ली, 13 मई उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उसने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को 16 मई को व्यक्तिगत तौर पर पेश करने का बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया था। यह मामला सहारा समूह की कुछ कंपनियों द्वारा निवेशकों का पैसा न लौटाने से संबंधित है।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय द्वारा अलग से जारी उस आदेश पर भी रोक लगा दी जिसमें उसने 11 फरवरी को एक जमानत के मामले में सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीज लिमिटेड और रॉय को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था और बाद में सहारा प्रमुख को निजी तौर पर पेश होने को कहा था।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सहारा प्रमुख की याचिका पर नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए। आक्षेपित निर्णय और आदेश पर रोक लगाई जाती है।’’ पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख मुकर्रर की है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को सूचित किया कि उच्च न्यायालय ने सुबह बिहार के डीजीपी को आदेश पारित कर सुब्रत रॉय को अदालत के समक्ष सुबह साढ़े 10 बजे पेश करने को कहा है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें सूचित किया गया है कि उच्च न्यायालय ने एक और आदेश पारित किया है जिसके तहत पुलिस विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी को याचिकाकर्ता को पेश करने का निर्देश दिया गया है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इस आदेश के संदर्भ में हम उच्च न्यायालय की ओर से जारी इस निर्देश पर रोक लगाते हैं।’’ न्यायालय ने कहा कि (इस मामले में) सभी संबंधित अधिकारी शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप कार्य करेंगे।
सिब्बल ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने यह आदेश एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते वक्त दिया, जिसका सहारा प्रमुख से कोई लेना-देना नहीं है।
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