नयी दिल्ली, छह सितंबर देश में कुछ तेल आयातकों के बेपरता कारोबार के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) की कीमतों में गिरावट दर्ज हुई जबकि तेल रहित खल (डीओसी) के दाम घटने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव में भी गिरावट आई।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि देश में कुछ आयातक बैंकों में अपने साख पत्र को घुमाते रहने के लिए विदेशों से पाम तेल (सीपीओ) की जानबूझकर महंगे दाम पर खरीद करते हैं और देश में मांग न होने के कारण सस्ते में इसकी बिक्री कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात को ध्यान में लेते हुए बैंकों के पैसों के बल पर ऐसे बेपरता कारोबार करने वालों पर अंकुश लगाना चाहिय।
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उन्होंने कहा कि ये कारोबारी देशी तेलों का भाव तोड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं और सरकार ने इनपर लगाम नहीं कसी, तो देश आत्मनिर्भरता की राह पर नहीं बढ़ पायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से करानी चाहिये और देशी तिलहन किसानों के समृद्धि के रास्ते पर रोड़ा अटकाने वाले आयातकों पर अंकुश लगाना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि ये आयातक किसान एवं तेल उद्ययोग के विकास की राह में रोड़ा अटका रहे हैं और बैंकों की गैर-निष्पादक आस्तियां बढ़ा रहे हैं।
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सूत्रों ने कहा कि देश का तेल उद्योग दोहरी मार का सामना कर रहा है। एक तो देश में बढ़ते सस्ते आयात के कारण मांग नहीं है दूसरा बेपरता कारोबार के कारण पाम तेल के भाव का अंतर 300 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया है। ऐसी स्थिति के बीच सीपीओ की कीमत पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 60 रुपये की हानि के साथ 7,540-7,590 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई, जबकि पामोलीन दिल्ली और कांडला की तेलों की कीमतें क्रमश: 9,100 रुपये और 8,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर अपरिवर्तित रहीं।
उन्होंने बताया कि सहकारी संस्था नाफेड बहुत सोच समझ के साथ सरसों की बिकवाली कर रही है क्योंकि आगे त्योहारी मांग होने वाली है और अगली फसल आने में अभी सात-आठ महीने की देर है। व्यापारियों और तेल मिलों के पास सरसों का जरा भी स्टॉक नहीं है और इस तेल का विकल्प भी नहीं है। सस्ते आयात से सरसों की मांग और उठाव जरूर कम हुआ है और इसी वजह से सरसों दाना और इसके तेल की कीमतें मामूली घट-बढ़ दर्शाती बंद हुईं।
देश में किसानों और नाफेड के पास ही मूंगफली का भारी स्टॉक जमा है और इसकी नयी फसल अगले माह आने की संभावना है। जिसके कारण मूंगफली दाना सहित इसके तेल की कीमतों में गिरावट आई। मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात जहां क्रमश: 20 रुपये और 40 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,710-4,760 रुपये और 12,200 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ, वहीं मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड 20 रुपये की हानि के साथ 1,785-1,845 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
विदेशों में सुधार के कारण सोयाबीन की सभी तेल कीमतों में सुधार देखने को मिला।
सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 30 रुपये, 90 रुपये और 80 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 9,550 रुपये, 9,360 रुपये और 8,400 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। दूसरी ओर देश में तेल रहित खल (डीओसी) की मांग घटी है और किसानों के पास इसका बम्पर स्टॉक है। इस कारण वे औने-पौने दाम पर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं जिससे सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 70 रुपये और 110 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 3,895-3,935 रुपये और 3,725-3,745 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
बाकी सभी तेल कीमतों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
राजेश
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