उत्तर प्रदेश: डॉक्टर कफील खान कांग्रेस के करीब, पार्टी में हो सकते हैं शामिल
डॉक्टर कफील खान ( फोटो क्रेडिट- PTI )

लखनऊ, 4 सितंबर: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के शासनकाल में मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए पोस्टर ब्वॉय बनकर उभरे डॉक्टर कफील खान (Kafeel Khan) आने वाले दिनों में राजनीतिक करियर चुन सकते हैं. कफील को कुछ विपक्षी पार्टियों से सहानुभूति मिल रही है. उन्होंने हालांकि कांग्रेस के प्रति अपने झुकाव को दिखाया है. उन्होंने कहा, "मुश्किल समय में, प्रियंका गांधी वाड्रा ने मेरा समर्थन किया. मथुरा जेल से मेरी रिहाई के बाद उन्होंने फोन करके मुझसे बातचीत की."

पूर्व कांग्रेस विधायक प्रदीप माथुर कफील खान की जेल से रिहाई के वक्त वहां मौजूद थे. उन्होंने कहा, "वरिष्ठ पार्टी नेताओं के दिशानिर्देश पर, मैं काफिल की रिहाई के लिए औपचारिकताओं को पूरा करने लगातार मथुरा और अलीगढ़ के जिला प्रशासन के संपर्क में था. मैं उन्हें राजस्थान बॉर्डर तक ले गया." कांग्रेस नेता ने कहा, "प्रियंका ने मानवता के लिए उनके समर्थन में और योगी सरकार द्वारा राज्य के निर्दोष लोगों के खिलाफ अत्याचार का विरोध करने के लिए अपनी आवाज बुलंद की.

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यह कफील पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस के साथ काम करना चाहते हैं या नहीं." डॉक्टर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह बिहार, असम, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के लिए जांएगे. अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि कफील के पास महत्वपूर्ण 2022 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनने की काबिलियत है, जिसके लिए पार्टी अपनी खोई जमीन वापस करने के लिए काम कर रही है.

उन्होंने कहा, "राज्य सरकार के खिलाफ उनकी लड़ाई ने उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में समुदाय के लोगों के बीच बड़ी संख्या में समर्थन हासिल किया है." इस बीच, परिवार के एक सूत्र ने कहा कि क फील ने बीते तीन वर्ष से काफी कुछ झेला है और शायद उसके पास राजनीति में शामिल होने के सिवाय और कोई उपाय नहीं बचा.

परिवार के सदस्य ने कहा, "कई पार्टियों की ओर से ऑफर है, लेकिन उन्हें निर्णय करना है कि वे किसमें शामिल होना चाहते हैं. यह शायद कांग्रेस हो सकता है." डॉ. कफील खान को पहली अगस्त 2017 में बार बी.आर.डी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में ऑक्सीजन हादसे के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें तीन दिन के अंदर 70 बच्चे की मौत हो गई थी. विभागीय जांच में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई, लेकिन उन्हें फिर से बहाल नहीं किया गया है.