इस्लामाबाद, 12 अक्टूबर : पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की उन दो याचिकाओं को बृहस्पतिवार को एक साथ संबद्ध कर दिया जिनमें गोपनीय राजनयिक दस्तावेज कथित तौर पर लीक करने के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने और मामले को पूरी तरह से खारिज किये जाने का अनुरोध किया गया है. यह मामला एक राजनयिक दस्तावेज (साइफर) से संबंधित है जो खान के पास कथित तौर पर नहीं मिला था.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख खान ने पिछले साल उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से पहले और बाद में कई बार कहा कि साइफर मामला उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने की साजिश की ओर संकेत करता है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने उन दो याचिकाओं को एक साथ संबद्ध कर दिया जिनमें साइफर मामले में खान के मुकदमे पर रोक लगाने और मामले को पूरी तरह से खारिज किये जाने का अनुरोध किया गया है.
खान (71) ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की हैं, जिनमें से एक में साइफर मामले में उनके मुकदमे पर रोक लगाने और दूसरी याचिका में तोशाखाना संबंधी फैसले को निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। तीसरी याचिका साइफर मामले में खान के मुकदमे के खिलाफ है जिस पर 17 अक्टूबर को सुनवाई होनी है.
समाचार पत्र ‘डॉन’ की खबर के अनुसार वरिष्ठ वकील सरदार लतीफ खोसा खान के वकील के रूप में पेश हुए और अदालत को सूचित किया कि याचिका में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है. खबर के अनुसार उन्होंने कहा कि मामला इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है और फैसला सुरक्षित रखा गया था. साथ ही लाहौर उच्च न्यायालय ने संघीय जांच एजेंसी के एक मामले में स्थगन आदेश भी जारी किया है.
खोसा ने कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल एक राष्ट्रीय नायक है और दुनिया यह जानती और मानती है। अब, वह निर्दोष होते हुए भी जेल में है.’’
खबर के अनुसार न्यायमूर्ति फारूक ने तब उनसे पूछा कि क्या अलग याचिका को मामले को खारिज करने के अनुरोध संबंधी याचिका के साथ जोड़ा जाना चाहिए, इस पर खोसा इस शर्त पर सहमत हुए कि याचिका पर 17 अक्टूबर से पहले सुनवाई निर्धारित की जाये. मुख्य न्यायाधीश ने तब कहा कि वह मामले की समीक्षा करेंगे और एक आदेश जारी करेंगे, जिसमें आश्वासन दिया जाएगा कि याचिकाओं पर सुनवाई 17 अक्टूबर से पहले तय की जाएगी.
खान को पांच अगस्त को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया था और तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी. बाद में उन्हें अटक जेल ले जाया गया, लेकिन इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने बाद में उनकी सजा निलंबित कर दी. वह हालांकि जेल में ही रहे क्योंकि वह साइफर मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)