देश की खबरें | हाथियों के लिए अधिक कीमत पर धान खरीदी नहीं की जा रही — अकबर

रायपुर, चार अगस्त छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हाथियों के लिए अधिक कीमत पर धान की खरीद नहीं की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में मानव—हाथी द्वंद को रोकने के लिए वन विभाग ने गांवों के बाहर हाथियों को चारे के रूप धान देने का फैसला किया है। भाजपा ने हाथियों के लिए अधिक कीमत पर धान खरीदने का आरोप लगाया है।

अकबर ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि हाथियों को गांव के बाहर धान देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है और इस परिोजना का उद्देश्य हाथियों को मानव बस्तियों से दूर चारा उपलब्ध कराकर मानव-हाथी संघर्ष को कम करना है।

अकबर ने बताया कि वन विभाग प्रयोग के लिए धान की खरीदी नहीं कर रहा है वह राज्य के खाद्य विभाग द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (किसानों से) पर खरीदे गए अधिशेष धान को वन विभाग को हस्तांतरित किया जा रहा है।

हालांकि उन्होंने कहा कि राज्य के खाद्य विभाग द्वारा निर्धारित दर के आधार पर धान को एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरित किया जाएगा।

भाजपा के "उच्च दरों" पर धान खरीदने के आरोपों के बारे में वन मंत्री ने कहा कि अगर विभाग ने खुले बाजार से धान की खरीदी की होती तब सवाल उठता।

मंत्री ने बताया कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य रूप से सूरजपुर, रायगढ़, कोरबा, बलरामपुर, जशपुर, गरियाबंद, बालोद जिले से 16 झुंडों में 307 हाथियों की आवाजाही की सूचना मिली है।

उन्होंने बताया कि अब तक नौ हाथियों की रेडियो कॉलरिंग की जा चुकी है।

वन मंत्री ने बताया कि प्रयोग के तौर पर विभाग ने हाल ही में सूरजपुर, धरमजयगढ़ (रायगढ़) और बालोद वन मंडल के लगभग 14 स्थानों में गांव से दूर खुले क्षेत्रों में धान रखा था और इन जगहों में से हाथियों ने सूरजपुर में केवल तीन स्थानों पर ही धान खाया।

उन्होंने कहा कि प्रयोग की सफलता के आधार पर इसे अन्य क्षेत्रों में भी दोहराया जाएगा।

वहीं राज्य के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने इसे लेकर कहा है कि वन विभाग के पास धान लेने के लिए दो विकल्प हैं। विभाग समर्थन मूल्य पर (जो पिछले खरीफ मौसम के दौरान सामान्य ग्रेड धान के लिए 1,868 रुपए प्रति क्विंटल था) पर धान खरीदे या धान की नीलामी में दर तय हो।

भगत ने कहा कि समर्थन मूल्य उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प प्रतीत हो रहा है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि राज्य सरकार हाथियों के चारे के नाम पर सड़े या अंकुरित धान को उच्च दरों पर निपटाने की कोशिश कर रही है।

भाजपा नेता ने दावा किया था कि यह परियोजना भ्रष्टाचार के लिए बनाई गई प्रतीत हो रही है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में बताया था कि पिछले तीन वर्षों 2018, 2019 और 2020 में राज्य में हाथियों के हमलों में 204 लोग मारे गए। जबकि इस अवधि में 45 हाथियों की मृत्यु भी हुई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान हाथियों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने के 66,582 मामले, घरों को नुकसान के 5,047 मामले और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के 3,151 मामले दर्ज किए गए हैं।

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