सपनों के शहर को छोड़, साइकिलों से लंबी यात्रा पर निकले प्रवासी कामगार
कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार हैं जो अब पैदल ही या साइकिलों से उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए निकल पड़े हैं। पिछले दो दिन में कामगारों के पैदल ही गृह राज्यों की ओर बढ़ने की घटना में तेजी से वृद्धि हुई है।
इगतपुरी (महाराष्ट्र), 11 मई मुंबई आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग का वह हिस्सा जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले से गुजरता है उसमें दूर दूर तक कहीं कोई छाया नहीं है और इस चिलचिलाती धूप में प्रवासी मजदूर साइकिलों से ही अपने गृह राज्यों की ओर निकल पड़े हैं।
कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार हैं जो अब पैदल ही या साइकिलों से उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए निकल पड़े हैं। पिछले दो दिन में कामगारों के पैदल ही गृह राज्यों की ओर बढ़ने की घटना में तेजी से वृद्धि हुई है।
कामगारों का एक समूह साइकिल से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए रवाना हुआ है। कम से कम 80 किलोमीटर की यात्रा कर चुके रामजीवन निषाद कहते हैं,‘‘ ट्रक से यात्रा का खर्च 3,500 है, बस से यात्रा करने में इससे दोगुना खर्च आएगा और मेरे पास सिर्फ 700 रुपए हैं। ’’
अन्य कामगारों की भी कमोबेश यही कहानी है। उनका कहना है कि पांच सप्ताह के लॉकडाउन में उनके सब्र का बांध टूट गया और उनकी बचत भी खत्म हो गई जिसके कारण उन्हें मुंबई से साइकिल से ही अपने घर लौटने में भलाई समझ आई। जिन लोगों के पास साइकिल नहीं थी उन लोगों ने यात्रा के लिए साइकिलें खरीदीं।
इन कामगारों में किसी प्रकार का गुस्सा या द्वेष नहीं दिखाई दिया। दिखा तो बस डर कि अगर वे झुग्गी बस्ती इलाकों में रहते तो उन्हें भी संक्रमण अपनी चपेट में ले लेता।
कुछ कामगारों ने बताया कि उन्होंने चिकित्सकों से फिटनेस प्रमाणपत्र बनवाया था कि उन्हें प्रवासी कामगारों को ले जा रही विशेष ट्रेन में सीट मिल जाएगी लेकिन वह भी व्यर्थ रहा। कई लोगों ने कहा कि इतने पैसे में तो वे तीन वक्त का खाना खा लेते।
इस पूरे मार्ग में कई झुंड़ में प्रवासी मजदूर जाते दिखाई देंगे जिन्हें न तो आगे जाने का रास्ता पता है और न ही ये पता है कि वे कब अपने घर पहुंचेंगे।
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