कोच्चि, 12 दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने हाल में सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर में अभिनेता दिलीप को ‘वीआईपी दर्शन’ की सुविधा दिए जाने को बृहस्पतिवार को ‘बहुत-बहुत गंभीर’ घटना करार देते हुए कहा कि इसके कारण श्रद्धालुओं को कई मिनट तक भगवान का दर्शन करने से ‘एक तरह से रोक दिया’ गया।
न्यायमूर्ति अनिल के नरेन्द्र और न्यायमूर्ति मुरली कृष्ण एस की पीठ ने कहा कि यह ‘दो मिनट का सवाल नहीं है’ जब अभिनेता को दर्शन की विशेष सुविधा देने के लिए 'सोपानम' के सामने की पहली दो पंक्तियों को कई मिनट तक ‘रोककर’ रखा गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘ ऐसे लोगों के पास कौन सा विशेषाधिकार है?’’
उच्च न्यायालय ने त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) और मुख्य पुलिस समन्वयक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसा न हो।
उच्च न्यायालय ने पांच दिसंबर की घटना का सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद यह टिप्पणी की और निर्देश दिये। खुले अदालत कक्ष में इस घटना का वीडियो दिखाया गया।
पीठ ने कहा, ‘‘ सीसीटीवी फुटेज से हमें नजर आ रहा है कि रात 10 बजकर 58 मिनट पर देवस्वओम के एक गार्ड ने सोपानम के सामने दक्षिण तरफ की पहली पंक्ति को आगे बढ़ने से रोक दिया। फिल्म अभिनेता दिलीप 10 बजकर 58 मिनट पर दक्षिण तरफ से सोपानम के सामने वाली पहली कतार में दाखिल हुए और वह 11 बजकर पांच मिनट 45 सेंकेड तक वहां रहे।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘वीडियो से यह स्पष्ट है कि उत्तर दिशा से पहली कतार के श्रद्धालुओं को 10 बजकर 51 मिनट पर एक अन्य देवस्वओम गार्ड ने आगे बढ़ने से रोक दिया।’’
टीडीबी ने पीठ को बताया कि उसने सोपानम के सामने तीर्थयात्रियों की कतार को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार दो गार्डों समेत अधिकारियों को पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को पुलिस और टीडीबी की, मौजूदा तीर्थाटन सीजन के दौरान भगवान अयप्पा मंदिर में दिलीप को ‘वीआईपी’ दर्शन की सुविधा दिए जाने को लेकर खिंचाई की थी और निर्देश दिया था कि इस घटना का सीसीटीवी फुटेज अदालत को सौंपा जाए।
उच्च न्यायालय इस संबंध में खबरों का स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रहा है।
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