ऑस्ट्रेलिया में केन टोड मेंढ़कों को मारने का आयोजन
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ऑस्ट्रेलिया में हर साल 13 जनवरी से एक हफ्ते के लिए लोगों से कहा जाता है कि वे मेंढ़कों की प्रजाति केन टोड को मार डालें.ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड राज्य के कई इलाकों में केन टोड का हमला शुरू हो गया है, इसलिए लोगों से कहा जा रहा है कि वे इन मेंढ़कों से सावधान रहें और मार डालें. 13 जनवरी से 21 जनवरी के बीच इस तरह की मुहिम चलाई जाती है.

पिछले महीने ही क्वीन्सलैंड के कई शहरों में सैकड़ों की संख्या में केन टोड नजर आने लगे. ये मेंढ़क इतने जहरीले होते हैं कि लगभग कोई जानवर इन्हें नहीं खाता. हर साल ये लाखों की तादाद में ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग हिस्सों में नजर आने लगते हैं. 13 से 21 जनवरी तक इन्हें मारने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम चलाई जाती है, जिसे ग्रेट केन टोड बस्ट कहा जाता है.

इस साल ऑस्ट्रेलिया के कई इलाकों में खासी बारिश हुई है, जिसके बाद इन मेंढ़कों के प्रजनन के लिए सटीक परिस्थितियां बन गईं. इसलिए अधिकारी कह रहे हैं कि इस बार बहुत बड़ी संख्या में मेंढ़क मारने होंगे.

ग्रेट केन टोड बस्ट एक पर्यावरणीय संगठन ‘वॉटरगम' द्वारा आयोजित किया जाता है. इस संगठन का कहना है कि जितने केन टोड मार दिए जाएं, उतना अच्छा है, क्योंकि एक मादा केन टोड साल में 70 हजार तक बच्चे पैदा कर सकती है.

चूंकि इनकी आयु 15 वर्ष तक हो सकती है, इसलिए अपने जीवन काल में एक मादा केन टोड दस लाख तक बच्चे पैदा कर सकती है. पिछले सालों में हुए केन टोड बस्ट के दौरान एक हफ्ते के भीतर 50 हजार तक मेंढ़क मारे जाते रहे हैं.

कहां से आए केन टोड

केन टोड ऑस्ट्रेलिया की मूल प्रजाति नहीं है. आमतौर पर ये दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं. 1935 में मेंढ़कों की इस प्रजाति को अमेरिका के हवाई से क्वीन्सलैंड लाया गया था. इसका मकसद था फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले भंवरों से छुटकारा पाना. हालांकि भंवरे खत्म नहीं हुए लेकिन केन टोड अपने आप में एक समस्या बन गए.

घुसपैठिया प्रजाति के ये मेंढ़क अबऑस्ट्रेलिया के कई राज्यों में एक पारिस्थितिक आपदा बन चुके हैं. वहां ये मेंढ़कों की मूल और स्थानीय प्रजातियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं क्योंकि ये उनका खाना खा जाते हैं और उनके रहवास पर कब्जा कर लेते हैं.

वैज्ञानिकों के मुताबिक ये मेंढ़क अपने हर रूप में जहरीले होते हैं. ये इतने जहरीले होते हैं कि पालतू कुत्तों को सिर्फ 15 मिनट में खत्म कर सकते हैं. ये पर्यावरण के लिए कई तरह से खतरनाक हैं. मधुमक्खी पालक इनसे बहुत परेशान रहते हैं क्योंकि केन टोड मधुमक्खियों को खा जाते हैं.

अखबारों में ऐसी खबरें भी छपी हैं कि मधुमक्खी के छ्त्तों तक पहुंचने के लिए केन टोड एक दूसरे के ऊपर चढ़कर सीढ़ी बनाते पाए गए.

मारने के तरीकों पर बहस

आमतौर पर केन टोड को मारने के लिए लोग गॉल्फ क्लब या डंडों का इस्तेमाल करते हैं. बहुत से लोग उन्हें कारों से कुचलकर मारते हैं. यहां तक कि लोग एक-एक मेंढ़क पकड़कर भी कुचलते हैं. लेकिन आजकल इस बारे में बहस चल रही है कि क्या केन टोड को मानवीय तरीकों से मारा जा सकता है.

कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि केन टोड को मारने के लिए उन्हें फ्रिजर में डाल देना चाहिए, इससे उन्हें कम तकलीफ होती है. 2015 में इस बारे में एक शोध पत्र भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें वैज्ञानिकों ने बताया कि फ्रीजर में जम जाने पर मरने के दौरान इन मेंढ़कों के मस्तिष्क में दर्द संबंधी गतिविधियां बहुत कम पाई गईं.

इसलिए कुछ संस्थाओं ने मेंढ़कों को जमा करने वाले केंद्र भी बना दिए हैं, जहां उन्हें एक साथ ही फ्रीजर में डाला जा सकता है.