पटना, 23 जून विपक्ष के एक दर्जन से अधिक राजनीतिक दलों ने अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने का शुक्रवार को संकल्प लिया।
विपक्षी दलों की अगली बैठक जुलाई में शिमला में होगी, जहां साझा एजेंडा तय करने के साथ ही राज्यवार रणनीति पर फैसला होगा।
दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी (आप) ने विपक्षी एकजुटता की इस पूरी कवायद पर यह कहकर एक तरह का प्रश्नचिह्न भी लगा दिया कि दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस के अपना रुख स्पष्ट करने तक वह उसकी मौजूदगी वाली किसी भी विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होगी।
आप ने कहा कि कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह दिल्ली के लोगों के साथ है या फिर मोदी सरकार के साथ खड़ी है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई, जिसमें एक दर्जन से अधिक दलों के करीब 30 विपक्षी नेताओं ने भाग लिया।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि बैठक में कुल कितने दल शामिल थे। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और उमर अब्दुल्ला ने बैठक में शामिल होने वाले दलों की संख्या 17 बताई, हालांकि बैठक के संदर्भ में पार्टियों की जो सूची उपलब्ध कराई गई थी, उसमें 15 दलों के नाम थे।
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में भाग लिया।
द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेता भी इस बैठक में शामिल हुए।
करीब चार घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद विपक्षी नेता मीडिया से मुखातिब हुए, लेकिन आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संवाददाता सम्मेलन में नहीं पहुंचे।
केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा बैठक के तत्काल बाद पटना से दिल्ली रवाना हो गए।
विपक्षी दलों की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘काफी अच्छी मुलाकात हुई...एक साथ चुनाव लड़ने और सब तरह की सहमति हो गई है। एक बैठक और होगी। एक बैठक हो जाएगी, तो उसमें सारी चीजें अंतिम रूप ले लेंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सब लोग मिलकर चलेंगे, यह देश के हित में है। जो लोग अभी शासन में हैं, वे देश के हित में काम नहीं कर रहे हैं। वे देश का इतिहास बदल रहे हैं।’’
कुमार ने दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए कहा, ‘‘अगर किसी राज्य के बारे में कोई चुनौती आती है, तो सब साथ रहेंगे।’’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अगली बैठक जुलाई महीने में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी नेतागण एक होकर चुनाव लड़ने का एजेंडा तैयार कर रहे हैं। हम सभी जल्द ही शिमला में मिलेंगे, जहां आगे के लिए निर्णय लिया जाएगा। हम एकजुट होकर 2024 की लड़ाई लड़ेंगे और भाजपा को सत्ता से हटाकर लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि हर राज्य के लिए अलग-अलग रणनीति बनाएंगे, क्योंकि एक ही रणनीति हर जगह काम नहीं करेगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘‘यह विचारधारा की लड़ाई है, हम एक साथ खड़े हैं, हमारे बीच थोड़े-बहुत मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमें मिलकर काम करना है।’’
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘हम एक हैं, हम मिलकर लड़ेंगे। अगले महीने बैठक होगी।’’
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक नेता एम के स्टालिन ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री पद के साझा उम्मीदवार को लेकर फैसला नहीं हुआ, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए सभी लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करने का संकल्प लिया गया है।
नेशनल कॉन्ंफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह सत्ता की लड़ाई नहीं है, बल्कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं और महबूबा साहिबा मुल्क के उस बदनसीब इलाके से ताल्लुक रखते हैं, जहां लोकतंत्र का दिनदहाड़े कत्ल किया जा रहा है।’’
विपक्षी दलों की बैठक के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘हमारी कोशिश यह रहेगी कि हम गांधी के मुल्क को ‘गोडसे का मुल्क’ नहीं बनने देंगे।’’
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