Adani Group: अडाणी समूह के खिलाफ ईडी मुख्यालय जाने के लिए विपक्षी दलों ने मार्च निकाला, विजय चौक पर रोका गया

कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने अडाणी समूह से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष ज्ञापन देने के लिए बुधवार को संसद भवन से मार्च निकाला, हालांकि पुलिस ने उन्हें विजय चौक पर ही रोक लिया. ईडी मुख्यालय के लिए संसद भवन से निकलने के बाद ही पुलिस ने विजय चौक पर विपक्षी सांसदों को रोका.

Adani (Photo: Twitter)

नयी दिल्ली, 15 मार्च : कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने अडाणी समूह से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष ज्ञापन देने के लिए बुधवार को संसद भवन से मार्च निकाला, हालांकि पुलिस ने उन्हें विजय चौक पर ही रोक लिया. ईडी मुख्यालय के लिए संसद भवन से निकलने के बाद ही पुलिस ने विजय चौक पर विपक्षी सांसदों को रोका. पुलिस ने विजय चौक के निकट अवरोधक लगा रखे थे. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अडाणी समूह के घोटाले के मामले में ज्ञापन देने के लिए ईडी निदेशक से मिलने जा रहे थे, लेकिन सरकार ने हमें रोक लिया और विजय चौक तक भी जाने नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मामले पर ईडी के समक्ष विस्तृत पक्ष रखना चाहता है और आगे जाने की कोशिश करेगा. राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि यह तानाशाही सरकार है और यह विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल ने अडाणी समूह के खिलाफ तीन पृष्ठों का ज्ञापन तैयार किया है जिसमें ‘शेल’ कंपनियों समेत कई आरोप लगाए गए हैं. विपक्षी दलों के मार्च से पहले, खरगे के संसद भवन परिसर स्थित कार्यालय में विपक्षी दलों के नेताओं ने अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे पर अपनी संयुक्त रणनीति में समन्वय के लिए एक बैठक की. तृणमूल कांग्रेस विपक्षी दलों के इस मार्च का हिस्सा नहीं थी. उसके सांसदों ने घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में वृद्धि को लेकर संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया. यह भी पढ़ें : H3N2: महाराष्ट्र में बढ़ता जा रहा है एच3एन2 का कहर, राज्य में संक्रमित लोगों की मौतों के कारण की होगी जांच

अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से ही अडाणी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर विपक्षी दलों के सदस्यों की मांग है कि इस मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाए. उल्लेखनीय है कि ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे. अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है.

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