देश की खबरें | बिरला से मिले विपक्षी सांसद, जगदम्बिका पाल के ‘एकतरफा’ फैसलों को लेकर विरोध दर्ज कराया

नयी दिल्ली, पांच नवंबर वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर समिति के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जगदम्बिका पाल द्वारा कथित तौर पर लिए जा रहे एकतरफा निर्णयों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।

विपक्षी सदस्यों ने सोमवार को जगदम्बिका पाल पर ‘एकतरफा’ फैसले करने और पूरी प्रक्रिया को ‘ध्वस्त’ करने का आरोप लगाया था तथा इस समिति से खुद को अलग करने का संकेत दिया था।

एक सूत्र के अनुसार, विपक्षी नेताओं ने उम्मीद जताई कि बिरला ने समिति की बैठकों के सिलसिले को कम करने के लिए कदम उठाएंगे ताकि सदस्यों को बैठकों की तैयारी करने और दी गई प्रस्तुतियों का अध्ययन करने की अनुमति मिल सके।

एक सदस्य ने कहा कि समिति की अब एक पखवाड़े में एक या दो बैठकें हो सकती हैं।

बैठक के बाद विपक्षी सदस्यों ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने उनकी बात धैर्यपूर्वक सुनी और उन्हें जल्द से जल्द निर्णय लेने का आश्वासन दिया।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद और समिति के सदस्य कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘‘यह बहुत अच्छी चर्चा थी। उन्होंने हमारे प्रति सद्भाव दिखाया। लोकसभा अध्यक्ष ने बहुत धैर्यपूर्वक हमारी बात सुनी और कहा कि वह इस मामले को देखेंगे।’’

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और द्रमुक सांसद ए. राजा ने भी इसी बात का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक सार्थक बैठक थी। अध्यक्ष ने हमें हमारी शिकायतों पर गौर करने का आश्वासन दिया।’’

सांसदों ने अपनी चिंताओं का विवरण देते हुए अध्यक्ष को एक ज्ञापन भी सौंपा।

सूत्रों का कहना है कि सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को वह पत्र सौंपा है जिसमें पाल के कथित एकतरफा फैसलों को लेकर विरोध दर्ज कराया गया है।

द्रमुक सांसद ए. राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी सहित विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष के नाम यह संयुक्त पत्र लिखा है।

विपक्षी सदस्यों ने सोमवार को जगदम्बिका पाल पर ‘एकतरफा’ फैसले करने और पूरी प्रक्रिया को ‘ध्वस्त’ करने का आरोप लगाया था तथा इस समिति से खुद को अलग करने का संकेत दिया था।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सांसद पाल पर आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष ने बैठकों की तारीखें तय करने और समिति के समक्ष किसे बुलाया जाए, यह तय करने में ‘‘एकतरफा निर्णय’’ लिया है।

विपक्षी सदस्यों का कहना है कि वह कभी-कभी समिति की तीन दिन की लगातार बैठक बुला लेते हैं।

उन्होंने बिरला के नाम लिखे पत्र में यह दावा भी किया कि समिति की कार्यवाही में उनको अनसुना किया गया तथा ऐसे में वे इस समिति से खुद को अलग करने के लिए मजबूर हो सकते हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या वे संसदीय समिति की बैठकों में भाग लेना जारी रखेंगे, बनर्जी ने कहा, ‘‘हां हम भाग लेंगे क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष इस मामले को देख रहे हैं।’’

कई मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के लगातार विरोध के कारण समिति की कार्यवाही बाधित हुई है, जबकि भाजपा सदस्यों ने उन पर जानबूझकर इसके काम को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

पाल ने इस आरोप को खारिज किया है कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी। उनका कहना है कि उन्होंने सुनिश्चित किया है कि हर किसी की बात सुनी जाए।

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