नयी दिल्ली, 26 जुलाई लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बुधवार को भारी हंगामा किया और उनकी नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब 15 मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने करगिल विजय दिवस और भारतीय जवानों के शौर्य एवं पराक्रम का उल्लेख किया। पूरे सदन ने कुछ पल मौन रखकर करगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद बिरला ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, उसी समय कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर के मुद्दे को उठाने लगे और नारेबाजी करने लगे।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख करते सुने गए। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्हें मालूम होना चाहिए कि इस बारे में 12 बजे (शून्यकाल में) बात की जाती है।
सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने मणिपुर के मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
विपक्षी सदस्यों ने सदन में ‘जवाब दो-जवाब दो’, ‘प्रधानमंत्री सदन में आओ’ और ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगाए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से नारेबाजी बंद कर सदन चलने देने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप सदन नहीं चलाना चाहते? क्या आप मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहते? ’’
बिरला ने कहा, ‘‘सदन की मर्यादा बनाकर रखें। यह सदन चर्चा के लिए है।’’
हंगामा नहीं थमने पर बिरला ने पूर्वाह्न करीब 11 बजकर 15 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।
मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
हक
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