ताजा खबरें | विपक्ष का बजट में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों को नजरंदाज करने का आरोप; भाजपा ने आरोपों को खारिज किया

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नयी दिल्ली, आठ फरवरी विपक्षी दलों ने सरकार पर केंद्रीय बजट में महंगाई, बेरोजगारी और किसानों से जुड़े मुद्दों को नजरंदाज करने का मंगलवार को आरोप लगाया और दावा किया कि गरीबों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये बजट में मामूली आवंटन किया गया है जबकि मनरेगा, कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिये राज्यों के आवंटन में भी कमी की गई।

विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें ‘निराशावादी’ करार दिया और कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश में सड़कों का जाल बिछाने, डिजिटल ढांचा मजबूत बनाने, आधारभूत संरचना के विकास के साथ राज्यों को पर्याप्त आवंटन दिया है ।

भाजपा ने कहा कि सरकार के प्रतिबद्ध प्रयासों के परिणामस्वरूप कोरोना महामारी से प्रभावित कालखंड में देश मजबूती से बाहर निकला और इस दौरान जीडीपी, मुद्रास्फीति, शेयर बाजार और विदेशों से पूंजी प्रवाह जैसे मानक दुरुस्त रहे हैं।

लोकसभा में वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के जी जितेन्द्र रेड्डी ने कहा कि यह बजट गरीबों एवं मध्यम वर्ग के लिये भयावह है।

उन्होंने कहा कि यह सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की बात करती है लेकिन इनके लिये काफी कम आवंटन है।

उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के 30-40 करोड़ लोग हैं और सरकार ने 12,800 करोड़ रूपये बजट में आवंटित किया है जो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 330 रूपये बनता है।

रेड्डी ने कहा कि इसी प्रकार से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिये भी काफी कम आवंटन किया गया है।

टीआरएस सदस्य ने कहा कि मनरेगा के लिये आवंटन में भी कटौती की गई है और किसानों को नजरंदाज किया गया है।

रेड्डी ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी होने की बात कही थी, इसका क्या हुआ, यह बताना चाहिए।

वहीं, शिवसेना के धैर्यशील माने ने कहा, ‘‘हमें सरकार की नीयत पर संदेह नहीं है, लेकिन नीतियों को लेकर संदेह जरूर है।’’

शिवसेना सांसद ने कहा कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने की मांग का उल्लेख बजट में नहीं है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह एमएसपी पर फैसला ले।

उन्होंने कहा कि मध्य वर्ग के लोगों को आयकर की सीमा में कोई राहत नहीं दी गई जबकि कोरोना काल में लोग इसकी उम्मीद कर रहे थे।

माने ने कहा कि सरकार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की मदद के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए थे।

उन्होंने कहा कि सरकार को राज्यों की मदद करनी चाहिए और स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर देना चाहिए।

माने ने आरोप लगाया कि सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं किया है।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि जब 2007-08 में वैश्विक आर्थिक मंदी आई थी तो भारत को बड़े संकट का सामना करना पड़ा था और सूक्ष्म स्तर पर अर्थव्यवस्था के सभी मानदंड कमजोर थे।

उन्होंने कहा कि लेकिन जब कोविड महामारी आई और पूरी दुनिया में 100 वर्ष के बाद ऐसा संकट आया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संकट से देश को निकाला और जीडीपी, मुद्रास्फीति, शेयर बाजार और विदेशों से पूंजी प्रवाह जैसे मानक दुरुस्त रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि विश्व को विश्वास है कि भारत तेजी से बढ़ रहा है।

सिन्हा ने बजट में राज्यों के लिए जरूरी संसाधनों का उल्लेख नहीं होने के विपक्ष के कुछ सदस्यों के दावों को खारिज करते हुए कहा कि वित्त मंत्री ने इस बजट में प्रत्येक राज्य सरकार को एक लाख करोड़ रुपये की राशि 50 साल के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर आवंटित की है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने देश में सड़कों का जाल बिछाया है और हर वर्ष औसत 100 किलेामीटर राजमार्ग का निर्माण हुआ।

सिन्हा ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के बजट में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए 1,34,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो जो पिछले बजट में 65 हजार करोड़ रुपये था।

भाजपा सांसद ने कहा कि इस बजट में वाराणसी से कोलकाता तक भारतमाला के तहत सुपर राजमार्ग के निर्माण का प्रस्ताव है जिससे यह यात्रा छह घंटे में हो सकेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह चमत्कार नहीं तो क्या है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल भौतिक अवसंरचना में ध्यान नहीं दे रहे, भविष्य के भारत के लिए डिजिटल ढांचा भी जरूरी है। 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होने वाली है।’’

उन्होंने कहा कि गत दिसंबर में यूपीआई से 8 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन अकल्पनीय और अभूतपूर्व है।

जारी दीपक हक वैभव

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