नयी दिल्ली, छह जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से अस्वस्थ एक नाबालिग लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले में एक आरोपी को जमानत दी है।
उच्च न्यायालय ने तीन साल से अधिक समय से जेल में बंद आरोपी को (बाहर निकलने पर) किसी भी गवाह को धमकाने या सबूतों के प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से नहीं छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सुरश कुमार कैत ने कहा, ‘‘इसमें कोई विवाद ही नहीं है कि पीड़िता और उसकी मां की शपथ दिलाकर गवाही ले ली गयी है। इस प्रकार, अहम गवाहों का परीक्षण हो चुका है....लेकिन संबंधित पक्षों के वकीलों की दलीलों तथा याचिकाकर्ता (आरोपी) के 16 मई, 2017 से न्यायिक हिरासत में रहने के तथ्य को ध्यान में रखते हुए तथा इस मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किये बिना मेरा मत है कि याचिकाकर्ता जमानत का हकदार है।’’
अदालत ने कहा कि आरोपी नितिन को 25000 के निजी बांड और उतने ही रकम के मुचलके पर रिहा कर दिया जाए।
अभियोजन के अनुसार पीडि़ता ने आरोप लगाया कि मई, 2017 को नितिन और सह आरोपी दीपू उसे एक मकान की छत पर ले गये तथा वहां दोनों ने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाया एवं एक अन्य आरोपी (एक किशोर) उसकी दशा देखकर वहां से भाग गया।
अब 17 साल की हो गयी नाबालिग लड़की का यह भी आरोप है कि दोनो आरोपियों ने बाद में भी कई मौकों पर उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाये।
इस किशोरी ने 13 मई, 2017 को अपनी मां को बताया कि नितिन और दीपू ने उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाये तथा जब कभी वह बाहर जाती थी तो दोनों उसका पीछा करते थे और उसके साथ दुर्व्यवहार करते थे।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को यह भी बताया कि पीड़िता का यह भी आरोप है कि आरोपियों ने उसे किसी को उनके कारनामों के बारे में बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी।
लड़की की मां ने पुलिस को सूचना दी और हरिनगर थाने में भादंसं एवं पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोपियों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया।
अभियोजन पक्ष के वकील ने अदालत से कहा कि निचली अदालत ने इस लड़की की मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान से मानसिक आयु की जांच करवायी जिसमें सामने आया कि उसकी मानसिक आयु आठ साल के बच्चों जैसी है जबकि उसकी वर्तमान उम्र 17 साल है।
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