देश की खबरें | नीट-यूजी के भौतिकी के प्रश्न को लेकर हुए विवाद पर आईआईटी के विशेषज्ञों ने कहा : केवल एक सही उत्तर था

नयी दिल्ली, 23 जुलाई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के तीन विशेषज्ञों की समिति ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी 2024’ में पूछे गए भौतिकी के एक विवादास्पद प्रश्न का केवल एक ही सही उत्तर था, न कि दो।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को आईआईटी-दिल्ली के निदेशक को भौतिकी के इस विवादित प्रश्न को लेकर तीन विषय विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने तथा मंगलवार दोपहर तक सही जवाब पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

सुनवाई शुरू होने पर सीजेआई ने रिपोर्ट में लिखी बातों का हवाला दिया और कहा, ‘‘हमें आईआईटी दिल्ली की रिपोर्ट मिली है। आईआईटी निदेशक रंगन बनर्जी ने भौतिकी विभाग की एक समिति गठित की और वे बताते हैं कि तीन विशेषज्ञों की एक टीम ने प्रश्न की जांच की। टीम का कहना है कि चौथा विकल्प सही जवाब है।’’

सीजेआई ने कहा कि चौथा विकल्प, जो कहता है कि ‘पहला कथन सही है, लेकिन दूसरा कथन गलत है’, सही जवाब है।

पीठ ने कहा, ‘‘समिति ने साफ तौर पर कहा है कि केवल एक सही विकल्प था, जो कि चौथा विकल्प है। इसलिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) अपनी उत्तर पुस्तिका में सही थी, जिसमें चौथे विकल्प को सही बताया गया था।’’

अभी इस मामले की सुनवाई जारी है। केंद्र और एनटीए की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलीलें पेश कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें विवादों में घिरी इस परीक्षा को इस आधार पर दोबारा कराने का अनुरोध करने संबंधी याचिका भी शामिल है कि इसका प्रश्न पत्र लीक किया गया तथा परीक्षा के आयोजन में अन्य अनियमितताएं भी थीं।

सोमवार को पीठ को दिन भर चली बहस के दौरान भौतिकी के एक प्रश्न को लेकर असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ा।

ऐसी दलील दी गई कि परमाणु और उसकी विशेषताओं से संबंधित एक प्रश्न के दो सही उत्तर थे और परीक्षार्थियों के एक समूह, जिसने दो सही उत्तर में से एक विशेष उत्तर दिया था, उसे चार अंक दिए गए।

कुछ वकीलों ने यह भी कहा कि अभ्यर्थियों के तीन समूह थे, और एक समूह को सही उत्तर के लिए माइनस पांच अंक मिले, दूसरे समूह को दूसरे सही उत्तर के लिए चार अंक मिले, और तीसरे समूह में वे लोग शामिल थे, जिन्होंने या तो जवाब पता न होने या ‘नेगेटिव’ अंक मिलने के डर से इसे छोड़ दिया था।

पीठ को बताया गया कि इसका सफल अभ्यर्थियों की योग्यता सूची पर काफी असर पड़ेगा।

इस दलील के बाद न्यायालय ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक से तीन विषय विशेषज्ञों की समिति गठित करने को कहा।

‘पीटीआई-’ ने इस विवादित प्रश्न पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर और आईआईटी, मद्रास के पूर्व छात्र नवीन गौड़ से प्रतिक्रिया मांगी थी।

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