प्रयागराज, 16 अप्रैल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को ईमेल के जरिए उन उपायों को बताने को बृहस्पतिवार को कहा जो उन्होंने अधिवक्ताओं की वित्तीय मदद के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 44ए और 44बी नियम के प्रावधानों के तहत किए हैं।
कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से वकीलों और उनके पंजीकृत मुंशियों की वित्तीय मदद के मुद्दे को स्वतः संज्ञान में लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इससे पूर्व बार काउंसिल ऑफ इंडिया और यूपी बार काउंसिल को इस दिशा में उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराने को कहा था।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत का सहयोग करने को भी कहा और इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 अप्रैल, 2020 तय की।
अदालत ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि सुनवाई की अगली तारीख पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर होंगे और साथ ही वे उन स्कीमों को प्रस्तुत करेंगे जो उन्होंने इस बीच तैयार किए हैं।”
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत को बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य की बार काउंसिलों के पास मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त कोष है और उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण कोष कानून, 1974 के तहत पर्याप्त कोष मौजूद है।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए स्टांप के जरिए जमा की गई राशि प्रदेश के कोषागार में जमा कर रखी है।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के वकील अनादि कृष्ण नारायण हालांकि वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पेश नहीं हुए, उन्होंने ईमेल के जरिए अदालत को सूचित किया कि बार काउंसिल मुश्किल की इस घड़ी में जरूरतमंद अधिवक्ताओं की मदद के लिए धन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विभिन्न पदाधिकारियों के जरिए अदालत को ईमेल से सूचित किया कि जरूरतमंद वकीलों को धन उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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