नयी दिल्ली, 14 जनवरी विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल की दो दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा के दौरान उनकी राष्ट्रपति अशरफ गनी सहित वहां के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया के बारे में चर्चा हुई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बताया कि डोवाल दो दिवसीय यात्रा पर अफगानिस्तान गए थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी, विदेश मंत्री हनीफ अतमर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब तथा राष्ट्रीय मेलमिलाप संबंधी उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की।
डोवाल की अफगानिस्तान यात्रा के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया को लेकर चर्चा हुई । ’’
श्रीवास्तव ने कहा , ‘‘ हमने अफगानिस्तान में शांति एवं विकास के लिये काफी निवेश किया है । हम शांति स्थापित करने के प्रयासों का समर्थन करते हैं । ’’
प्रवक्ता ने कहा कि शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान नियंत्रित होनी चाहिए ।
उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण पक्षकार है और हम शांतिपूर्ण, समृद्ध, सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और एकजुट अफनिस्तान के पक्षधर हैं ।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बुधवार को अफगानिस्तान के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और पारस्परिक हित के रणनीतिक मुद्दों तथा आतंकवाद रोधी प्रयासों एवं शांति प्रक्रिया में मजबूती लाने से जुड़े विषयों पर चर्चा की।
डोवाल ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकत की।
वहां के राष्ट्रपति भवन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा गया था, ‘‘दोनों पक्षों ने आतंकवाद रोधी सहयोग और अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के मुद्दे पर क्षेत्रीय आम सहमति बनाने के प्रयासों पर चर्चा की।’’
डोभाल ने राष्ट्रीय मेलमिलाप संबंधी उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से भी मुलाकात की और शांति प्रक्रिया, दूसरे दौर की वार्ता की शुरुआत तथा अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका पर चर्चा की।
डोभाल की काबुल यात्रा ऐसे समय हुई है जब अफगान सरकार और तालिबान 19 साल से चले आ रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए पहली बार सीधे बात कर रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच पांच जनवरी को दोहा में वार्ता शुरू हुई थी।
अमेरिका द्वारा फरवरी 2020 में तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से भारत उभरती राजनीतिक स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है।
गौरतलब है कि भारत ने अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण गतिविधियों एवं सहायता के तौर पर 2 अरब डालर से अधिक निवेश किया है । नवंबर में भारत ने नये पैकेज के तहत अफगानिस्तान में 8 करोड़ डालर की उच्च क्षमता की 100 सामुदायिक परियोजनाओं की घोषणा की थी ।
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