देश की खबरें | सिर्फ अनिल देशमुख ही नहीं, बल्कि सबकी जांच करना सीबीआई का दायित्व : उच्च न्यायालय

मुंबई, पांच जुलाई बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यह सीबीआई का कर्तव्य है कि वह न केवल महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की बल्कि उनसे जुड़े मामले में कथित रूप से भ्रष्टाचार में शामिल सभी लोगों की जांच करे। अदालत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता के खिलाफ चल रही जांच की प्रगति के बारे में भी बताने को कहा।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से पूछा कि अप्रैल में देशमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच कितनी आगे बढ़ी है। पीठ ने कहा, ‘‘जांच की प्रगति क्या है? हम एक सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट देखना चाहते हैं।’’

पीठ राकांपा नेता द्वारा, 24 अप्रैल को भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय के निर्देश पर एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच किए जाने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद देशमुख ने राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। सीबीआई जांच एक वकील द्वारा मुंबई पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है। इसमें मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उनके खिलाफ जांच का अनुरोध किया गया।

जब देशमुख की ओर से वरिष्ठ वकील अमित देसाई सोमवार को बहस कर रहे थे तो पीठ ने सवाल किया कि क्या इस स्तर पर जब जांच अभी भी चल रही है, तब अदालत को मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करनी चाहिए ?

पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद प्रारंभिक जांच शुरू की गई और प्राथमिकी दर्ज की गई। सीबीआई की यह जिम्मेदारी है कि वह इसमें शामिल सभी लोगों की जांच करे। केवल याचिकाकर्ता (देशमुख) की ही नहीं। इसमें वे लोग भी शामिल हो सकते हैं जो उस समिति में थे जिसने (पूर्व पुलिसकर्मी) सचिन वाजे को बहाल किया था।’’

वाजे इस समय ‘एंटीलिया’ के पास गाड़ी में मिले विस्फोटक और ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में जेल में बंद है। आरोप है कि देशमुख ने वाजे को मुंबई के बार और रेस्तरां से करोड़ों रुपये की वसूली करने को कहा था। वाजे को एंटीलिया-हिरन मामले में गिरफ्तारी के बाद मई में पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने ‘‘प्रशासन में जनता का विश्वास पैदा करने के लिए’’ पांच अप्रैल के अपने आदेश में सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘‘इसलिए, यह केवल याचिकाकर्ता तक ही सीमित नहीं है बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों में शामिल हैं।’’

पीठ ने सीबीआई से यह भी जानना चाहा कि प्राथमिकी के आरोपी कॉलम में शामिल ‘‘अज्ञात’’ व्यक्ति कौन थे। अदालत ने कहा, ‘‘चोरी और लूट के मामलों में आरोपी कॉलम में अमूमन अज्ञात व्यक्ति होते हैं। लेकिन इस मामले में प्रारंभिक जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी।’’ सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर इन बिंदुओं पर अदालत को अवगत कराएंगे। अदालत मामले में सात जुलाई को आगे की सुनवाई करेगी।

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