रूस को आतंकवाद के प्रायोजक राष्ट्र के रूप में नामित करने की राह आसान नहीं: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस का कहना है कि रूस को आतंकवाद के प्रायोजक देश के रूप में नामित करना उसे जवाबदेह ठहराने के लिए प्रभावी रास्ता नहीं है क्योंकि यूक्रेन और शेष दुनिया के लिए इसके अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं.
वाशिंगटन, 7 सितंबर : व्हाइट हाउस का कहना है कि रूस को आतंकवाद के प्रायोजक देश के रूप में नामित करना उसे जवाबदेह ठहराने के लिए प्रभावी रास्ता नहीं है क्योंकि यूक्रेन और शेष दुनिया के लिए इसके अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरन ज्यां पियरे ने मंगलवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, “जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा है, और हम भी सोचते हैं, यह (रूस को आतंकवाद का प्रायोजक घोषित करना) रूस को जवाबदेह ठहराने के लिए सबसे प्रभावी या मजबूत रास्ता नहीं है. हमने पहले भी कई बार यह कहा है.” उन्होंने कहा कि रूस को आतंकवाद के प्रायोजक राष्ट्र के तौर पर नामित करने के यूक्रेन और दुनिया के लिए अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं.
पियरे ने कहा, “उदाहरण के लिए, हमने जिन विशेषज्ञों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से बात की है, उनके अनुसार यह यूक्रेन के इलाकों में सहायता प्रदान करने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है.” प्रेस सचिव ने कहा कि एक और बात यह है कि यह वैश्विक खाद्य संकट को कम करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण मानवीय और वाणिज्यिक निकायों को खाद्य निर्यात की सुविधा से दूर कर सकता है और काला सागर बंदरगाह समझौते को खतरे में डाल सकता है, जिसके कारण दुनिया में 10 लाख टन से अधिक यूक्रेनी खाद्यान्न का निर्यात हो रहा है. जिन इलाकों में इन खाद्यान्न का निर्यात हो रहा है उनमें अफ्रीका के वे इलाके भी शामिल हैं जो संभवत: अकाल का सामना कर रहे हैं. यह भी पढ़ें : भारत को ‘सीएएटीएसए’ प्रतिबंधों से विशिष्ट छूट दिलाने के लिए सांसद रो खन्ना ने पेश किया एक विधेयक
पियरे ने यह भी कहा कि इससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को जवाबदेह ठहराने के अब तक के सभी प्रयासों को कम करके आंका जाएगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “यह हमारी अभूतपूर्व बहुपक्षीय क्षमताओं को भी कम करेगा जो पुतिन को जवाबदेह ठहराने में प्रभावी रही हैं और वार्ता में यूक्रेन का समर्थन करने की हमारी क्षमता को भी कमजोर कर सकता है. इसलिए हमें नहीं लगता कि यह सबसे प्रभावी तरीका है या आगे बढ़ने का सबसे मजबूत रास्ता है.” उन्होंने कहा कि इसके बजाय अमेरिका ने पहले से ही इस तरह के प्रतिबंधों के तहत होने वाले गंभीर परिणामों को लागू कर दिया है.