मुंबई , 19 मई मुंबई के अस्पताल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से जूझ रहे हैं वहीं निगम और राज्य सरकार के अस्पतालों के बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) में इलाज के लिए गैर कोविड-19 मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं ।
मई के पहले हफ्ते से मुंबई में कोविड-19 के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है ।
इससे राज्य और निगम संचालित अस्पतालों पर दबाव ही नहीं बढ़ा है बल्कि गैर कोविड-19 मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं की उपेक्षा हो रही है।
सरकारी केईएम अस्पताल और इसके बगल में बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा संचालित नायर अस्पताल अध्ययन का विषय हो सकते हैं कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों का संसाधन कितना सीमित हो चुका है ।
नायर अस्पताल को कोविड-19 के मरीजों के लिए समर्पित कर दिया गया और मरीजों से अस्पताल के पूरी तरह भर जाने पर सरकार ने संक्रमण से प्रभावित लोगों के इलाज के लिए केईएम अस्पताल में 400 बेड को आरक्षित कर दिया।
इससे गैर कोविड-19 मरीजों पर गहरा असर पड़ा है। ऐसे में अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग रही है ।
केईएम अस्पताल के डीन डॉ हेमंत देशमुख ने बताया, ‘‘हम मरीजों को मना नहीं कर सकते। हालांकि, बेड की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है । अपने बीमार परिजन के लिए बेड पाने की उम्मीद में कई लोगों को रात तक इंतजार करना पड़ा । ’’
एक अधिकारी ने बताया कि राज्य प्रशासन पर कोविड-19 के मरीजों के वास्ते और चिकित्सा सुविधा तैयार करने का भी काफी दबाव है ।
उन्होंने बताया कि मौजूदा अस्पतालों के अलावा सरकार ने शहर में कोई कोविड-19 उपचार केंद्र तैयार नहीं किया ।
सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं को दिक्कतें हो रही हैं।
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, ‘‘गैर कोविड-19 मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है लेकिन प्रशासन को गर्भवती महिलाओं के मुद्दे के समाधान के लिए जूझना पड़ रहा है क्योंकि निजी अस्पतालों में उन्हें मना कर दिया जाता है और सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने को कहा जाता है।’’
मुंबई में निगम और राज्य सरकार के लगभग सभी अस्पतालों में प्रसव की संख्या में इजाफा हुआ है क्योंकि निजी अस्पताल उन्हें सरकारी केंद्रों में भेज देते हैं ।
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