महू (मप्र), 30 दिसंबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-एआई) आधारित युद्ध और साइबर हमले जैसे गैर-परंपरागत तरीके बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश के महू छावनी में ‘आर्मी वॉर कॉलेज’ (एडब्ल्यूसी) में अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात 21 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया है जो कि एक दशक पहले दो हजार करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात को हासिल करने का लक्ष्य है।
सिंह ने कहा, ‘‘सूचना युद्ध, एआई आधारित युद्ध, छद्म युद्ध, विद्युत-चुंबकीय युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले जैसे गैर-परंपरागत तरीके आज के समय में बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना को ऐसे हमलों से लड़ने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सुसज्जित होना चाहिए। उन्होंने महू में प्रशिक्षण केंद्रों की उनके बहुमूल्य योगदान के लिए सराहना की।
उन्होंने कहा कि लगातार बदलते समय में सीमांत प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि सैन्य प्रशिक्षण केंद्र भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों को सुसज्जित और तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘हमारा रक्षा निर्यात, जो एक दशक पहले लगभग 2,000 करोड़ रुपये का था, आज 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमने 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा है।’’
उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित उपकरण दूसरे देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।
सिंह ने बदलते समय के अनुसार अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में लगातार सुधार करने और कर्मियों को हर तरह की चुनौती के लिए तैयार करने के प्रयास के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की सराहना की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और एकजुटता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में सशस्त्र बल बेहतर और अधिक कुशल तरीके से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे।’’
सिंह ने कहा कि महू छावनी में सभी विंग के अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है।
उन्होंने अधिकारियों से इन्फैंट्री स्कूल में हथियार प्रशिक्षण, ‘मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग’ (एमसीटीई) में एआई और संचार प्रौद्योगिकी और एडब्ल्यूसी में जूनियर और सीनियर कमांड में नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण के माध्यम से एकीकरण को बढ़ावा देने की संभावना तलाशने का आग्रह किया।
सिंह ने कहा कि भविष्य में कुछ अधिकारी रक्षा अताशे के रूप में काम करेंगे और उन्हें वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप रक्षा अताशे का पद संभालेंगे, तो आपको सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आत्मसात करना चाहिए। आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है और विश्व मंच पर अधिक सम्मान हासिल कर सकता है।’’
रक्षा मंत्री रविवार से मध्यप्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं।
रक्षा मंत्री ने भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया।
उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक समृद्धि तभी संभव है जब सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाए। सुरक्षा व्यवस्था भी तभी मजबूत होगी जब अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।’’
सिंह ने सीमाओं की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे पहले लोगों को सहायता देने में सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र की रक्षा के लिए यह समर्पण और लगातार बदलती दुनिया में खुद को अद्यतन रखने की भावना हमें दूसरों से आगे ले जा सकती है।’’
आर्मी वॉर कॉलेज में सिंह को कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही ने संघर्ष के सभी क्षेत्रों में युद्ध लड़ने के लिए सैन्य नेताओं को प्रशिक्षित करने और सशक्त बनाने की दिशा में संस्थान की भूमिका और महत्व के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
एक विज्ञप्ति में कहा गया कि रक्षा मंत्री को मित्र देशों के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और सैन्य कूटनीति में महत्वपूर्ण योगदान देने के माध्यम से संस्थान की वैश्विक उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी गई।
इससे पहले रक्षा मंत्री ने इन्फैंट्री मेमोरियल पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की।
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