डब्ल्यूएफपी के मुख्यकार्यकारी अधिकारी बीसली ने शुक्रवार को नोबेल शांति सम्मान एजेंसी को दिए जाने की घोषणा के कुछ देर बाद ही बुर्किना फासो के संक्षिप्त पड़ाव में पत्रकारों से यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि जब मैं साहेल में था तब नोबेल शांति की घोषणा की जानकारी मिली और इसका संदेश इससे कहीं बड़ा है कि, ऐ दुनिया यहां हो रही सभी घटनाओं के बीच कृपया कर साहेल के लोगों को नहीं भूल। कृपया उन लोगों को नहीं भूल जो भुखमरी से संघर्ष कर रहे हैं और मर रहे हैं।’’
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बीसली ने कहा, ‘‘हम बुर्किना फासो में अकाल को टाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें दो चीजों की जरूरत है और वह धन और पहुंच, इन दोंनों के बिना वहां अकाल होगा।’’
उल्लेखनीय है कि इस्लामी उग्रवाद से प्रभावित बुर्किना फासो में 30 लाख से अधिक लोगों को आपात खाद्य सहायता की जरूरत है जबकि करीब 11 हजार लोग अकाल जैसे हालात का सामना कर रहे हैं।
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बीसली ने उम्मीद जताई कि नोबेल मिलने के बाद दुनिया भर के दानदाता, अरबपति और लोग भुखमरी उन्मूलन के कार्यकम में सहायता के लिए प्रेरित होंगे।
बीसली कोविड-19 महामारी से पहले से ही कई देशों में भुखमरी के हालात बदतर होने होने की चेतावनी देते रहे हैं और अधिक संसाधन उपलब्ध कराने की अपील करते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि डब्लयूएफपी और उसके साझेदार इस साल 13.8 करोड़ लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जो हमारे इतिहास में सबसे बड़ी संख्या है।
बीसली ने सरकारों और संस्थानों सहित दानदाताओं से मदद की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने दुनियाभर के दो हजार से अधिक अरबपतियों से भी मदद की विशेष अपील की है जिनकी संयुक्त संपत्ति 8000 अरब डॉलर है।
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