नयी दिल्ली, नौ सितंबर नीति आयोग ने भारत नवोन्मेष सूचकांक पर शोध को लेकर रुचि पत्र आमंत्रित किये हैं।
सूचकांक की परिकल्पना राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपने नवोन्मेष परिवेश और प्रदर्शन की जांच करने और उसमें सुधार को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। इससे देश के नवोन्मेष प्रदर्शन में और सुधार हो सकता है।
इसे एक समग्र माध्यम के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग देशभर के नीति-निर्माता अपने क्षेत्रों के लिए आर्थिक विकास नीतियों को तैयार करते समय आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए उसकी पहचान करने को लेकर कर सकते हैं।
भारत नवोन्मेष सूचकांक की गणना ‘एनेबलर्स’ और प्रदर्शन के तहत तत्वों के अंक के औसत के रूप में की जाती है।
‘एनेबलर्स’ के तहत वे तत्व आते हैं जो नवीन क्षमताओं को रेखांकित करते हैं। इन्हें पांच स्तंभों में बांटा गया है - मानव पूंजी, निवेश, ज्ञान कार्यकर्ता, व्यावसायिक वातावरण और सुरक्षा और कानूनी परिवेश।
प्रदर्शन उन लाभ को दर्शाता है जो एक राष्ट्र ‘इनपुट’ से प्राप्त करता है। यह दो स्तंभों में विभाजित है... ज्ञान आउटपुट और ज्ञान प्रसार।
ईओआई के तहत शर्तों में पूरे भारत में नवोन्मेष को मापने के लिए मात्रात्मक और गुणात्मक संकेतकों की पहचान करना शामिल है।
आयोग ने कहा कि अनुबंध मिलने के बाद अध्ययन की अवधि छह महीने होगी।
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