नयी दिल्ली, 23 दिसंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा पराली जलाए जाने के मामले दर्ज होने पर प्रदूषण निगरानी संस्था सीएक्यूएम से जवाब तलब किया है।
हरित निकाय एक मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने मीडिया की उस खबर पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें राज्य में पराली जलाने की 11,382 घटनाएं दर्ज किये जाने का जिक्र था। यह संख्या पंजाब में पराली जलाने के 9,655 मामलों से अधिक थी।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 13 दिसंबर के एक आदेश में कहा, ‘‘लेख के अनुसार, पराली जलाने में वृद्धि धान की खेती में वृद्धि से जुड़ी है, जो बीते दशक में दोगुनी हो गई है। सबसे अधिक प्रभावित जिले श्योपुर (2,424 मामले) और नर्मदापुरम (1,462 मामले) हैं, जहां इस तरह की गतिविधियां सबसे अधिक प्रचलित हैं।’’
पीठ ने खबर की इस बात पर गौर किया कि कुछ किसानों ने आरोप लगाया कि पराली हटाने के वैकल्पिक तरीकों के अभाव में इसे जलाना उनकी मजबूरी है। इसमें यह भी कहा गया कि बैतूल और बालाघाट जैसे जिलों के किसानों ने पराली को हटाने के लिए टिकाऊ तरीकों को अपनाया है।
पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निदेशक, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के भोपाल स्थित क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिवों को पक्षकार या प्रतिवादी के रूप में शामिल किया है।
अधिकरण ने कहा कि उपरोक्त प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करें।
मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 10 फरवरी को भोपाल में अधिकरण की केंद्रीय जोनल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है।
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