भविष्य के खतरनाक वायरसों पर अनुसंधान के लिए ग्वालियर में बनेगी नयी प्रयोगशाला : डीआरडीई निदेशक
रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई), ग्वालियर के निदेशक एवं वैज्ञानिक डॉ. मनमोहन परीदा ने कहा कि डीआरडीई यहां जल्दी ही एक नयी प्रयोगशाला ‘उन्नत जैव रक्षा अनुसंधान केन्द्र’ स्थापित करेगी, जिसमें भविष्य के खतरनाक और मनुष्य को नुकसान पहुंचाने वाले वायरसों पर अनुसंधान होगा और उनसे बचने के उपकरण एवं अन्य सामग्री विकसित की जाएगी.
ग्वालियर (मप्र), 18 दिसंबर : रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई), ग्वालियर के निदेशक एवं वैज्ञानिक डॉ. मनमोहन परीदा ने कहा कि डीआरडीई यहां जल्दी ही एक नयी प्रयोगशाला ‘उन्नत जैव रक्षा अनुसंधान केन्द्र’ स्थापित करेगी, जिसमें भविष्य के खतरनाक और मनुष्य को नुकसान पहुंचाने वाले वायरसों पर अनुसंधान होगा और उनसे बचने के उपकरण एवं अन्य सामग्री विकसित की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कहा कि रक्षा प्रयोगशालाएं पूरी सुरक्षा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने में जुट गई हैं और इससे समाज को भी लाभ हो रहा है. शुक्रवार को ग्वालियर में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत डीआरडीई में विकसित किए गए रक्षा उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई थी.
इसी प्रदर्शनी के दौरान डॉ. परीदा ने मीडिया से बात करते हुए शुक्रवार को यहां कहा, ‘‘ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला पहले ही परमाणु और रासायनिक युद्ध से बचाव के साधन सेना को उपलब्ध करा रही है. डेंगू, एंथ्रेक्स और हानिकारक वायरस से बचाव और पहचान करने की तकनीक डीआरडीई, ग्वालियर के वैज्ञानिकों ने पहले ही विकसित किए हैं और अब यह प्रयोगशाला भविष्य की तकनीकों पर काम करेगी.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसके लिए ग्वालियर में उन्नत जैव रक्षा अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की जा रही है. इस प्रयोगशाला में भविष्य में मानव को नुकसान पहुंचाने वाले खतरनाक वायरसों पर अनुसंधान होगा. इसके साथ इस नयी प्रयोगशाला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर तकनीक से उपकरणों को विकसित किया जाएगा, जिससे वायरस हमले का तुरंत निदान मिल सके. इस प्रयोगशाला का स्तर बीएसएल-4 होगा, जो दुनिया के कुछ ही देशों के पास है.’’ यह भी पढ़ें : चीन की सेना ने हिंदुस्तान की 1000 किमी जमीन छीन ली, लेकिन पीएम चुप हैं: राहुल गांधी
डॉ. परीदा ने बताया कि डीआरडीई के उत्पाद पूरी तरह आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को पूरा करते हैं. इसी प्रयोगशाला ने टी-90 टैंक को परमाणु और रसायनिक एवं जैविक युद्ध के बचाव के साधन उपलब्ध कराएं हैं. उन्होंने कहा, “हमारे उत्पाद के लिए मिस्र और इजराइल जैसे देश रुचि दिखा रहे हैं.’’ डीआडीई निदेशक ने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत में डीआरडीई, ग्वालियर के अनेक उत्पादों से न सिर्फ बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत हुई है बल्कि भारत अब एक बड़े निर्यातक के रूप में सामने आया है. कोरोना काल में सैनेटाइज़र, एन-95 मास्क एवं व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) के अनुसंधान एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभायी गयी है. हाल ही में डीआरडीई ग्वालियर में कोरोना के पीसीआर टेस्ट के लिए लैंप किट तैयार की है और इसके अच्छे परिणाम आए हैं.’’