देश की खबरें | पॉक्सो कानून पर बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एनसीडब्ल्यू ने किया शीर्ष अदालत का रुख

नयी दिल्ली, चार फरवरी राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून को परिभाषित करने वाले बंबई उच्च न्यायालय के एक हालिया फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।

गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 19 जनवरी को अपने एक फैसले में कहा था कि किसी बच्ची की छाती को कपड़ों के ऊपर से स्पर्श करने को पॉक्सो कानून के तहत यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने उच्च न्यायालय के इस फैसले पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी। दरअसल, अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) के के वेणुगोपाल ने पीठ के समक्ष इस विषय का उल्लेख किया था और कहा था कि यह फैसला ‘अभूतपूर्व’ है तथा यह एक खतरनाक नजीर पेश करेगा।

शीर्ष न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस जारी किया था और अटॉर्नी जनरल को नागपुर पीठ के इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी थी।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने उच्चतम न्यायालय में दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि यदि शारीरिक संपर्क की ‘‘इस तरह की उल्टी-सीधी व्याख्या करने की अनुमति दी जाएगी, तो यह महिलाओं के मूलभूत अधिकारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा, जो समाज में यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं और यह महिलाओं के हितों का संरक्षण करने के लिए लक्षित विभिन्न विधानों के तहत प्रदत्त लाभकारी वैधानिक सुरक्षा को कमजोर कर देगा।’’

आयोग ने कहा है कि उच्च न्यायालय के आदेश में अपनाई गई इस तरह की ‘‘संकीर्ण व्याख्या’’ एक खतरनाक मिसाल पेश करती है, जिसका महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

वकीलों के एक संगठन ‘यूथ बार एसोएिशन ऑफ इंडिया’ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में एक याचिका दायर कर रखी है।

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