मुंबई: नार्वेकर को दल बदलने का अच्छा खासा अनुभव है : राउत

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्हें दल बदलने का इतना अनुभव है कि उनके दिमाग में यह विचार कभी नहीं आयेगा कि पाला बदलने का काम गलत या असंवैधानिक है।

मुंबई: नार्वेकर को दल बदलने का अच्छा खासा अनुभव है : राउत
Sanjay Raut (ANI)

मुंबई, 22 सितंबर: शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि उन्हें दल बदलने का इतना अनुभव है कि उनके दिमाग में यह विचार कभी नहीं आयेगा कि पाला बदलने का काम गलत या असंवैधानिक है.शिवसेना के बागी विधायकों से संबंधित अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई के संबंध में नई दिल्ली में एक सवाल का जवाब देते हुए, राउत ने कहा, ‘‘राहुल नार्वेकर को पार्टी बदलने का इतना अनुभव है कि उन्हें लगता है कि एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने का विचार कभी गलत या असंवैधानिक नहीं होगा.’’

उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को सोमवार को निर्देश दिया था कि वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके प्रति वफादार शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समय-सीमा के बारे में एक सप्ताह के भीतर बताएं. न्यायालय ने कहा था कि उचित समय के भीतर याचिकाओं पर निर्णय लेने के निर्देश के बावजूद स्पष्ट रूप से अब तक कुछ भी नहीं किया गया है. नार्वेकर पहले अविभाजित शिवसेना में थे और इसके बाद वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में शामिल हो गये थे। वह वर्तमान में दक्षिण मुंबई की कोलाबा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं.

शिवसेना (यूबीटी) नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि अध्यक्ष को न्याय करना चाहिए और 40 अलग हुए विधायकों को संविधान के अनुसार अयोग्य घोषित करने की जरूरत है. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के अनावरण के लिए मध्य प्रदेश की अपनी यात्रा से पहले आदित्य ठाकरे नागपुर में संवाददाताओं से बात कर रहे थे. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं के बारे में नार्वेकर के रुख पर, आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘अध्यक्ष का रुख ऐसा होना चाहिए कि वह संविधान को ध्यान में रखते हुए न्याय करें। ये 40 लोग (विधायक) विश्वासघाती हैं और इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.’’

पिछले साल शिंदे और उनके वफादार 39 विधायकों के पार्टी से अलग हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना विभाजित हो गई थी। बाद में महा विकास आघाड़ी सरकार के पतन के बाद सरकार बनाने के लिए शिंदे गुट भाजपा के साथ आ गया. यह पूछे जाने पर कि क्या वह मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में प्रचार करेंगे, आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के समन्वय प्रयासों पर निर्भर करेगा. मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में मराठी भाषी मतदाताओं की अच्छी आबादी है. यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना (यूबीटी) मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी, आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उद्धव साहब इस संबंध में निर्णय लेंगे.’’

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