देश की खबरें | नायडू ने 'मुफ्त उपहार संस्कृति' को लेकर आगाह किया, राज्यों की वित्तीय स्थिति के लिए खराब बताया

नयी दिल्ली, नौ अगस्त उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा वोट बटोरने के लिए किए जाने वाले लोकलुभावन वादों के प्रति आगाह करते हुए मंगलवार को कहा कि ‘‘मुफ्त उपहार की संस्कृति’’ के कारण कई राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हुई है।

उन्होंने कहा, "सरकार को निश्चित रूप से गरीबों और जरूरतमंदों का समर्थन करना चाहिए, लेकिन साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा तथा बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।"

उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोगों को 'रेवड़ी संस्कृति' के खिलाफ आगाह किए जाने की पृष्ठभूमि में आई है। मोदी ने कहा था कि यह देश के विकास के लिए खतरनाक हो सकती है।

नायडू ने इंटरनेट और सोशल मीडिया के विस्तार के उभार से ‘तात्कालिक पत्रकारिता’ के चलन की वजह से पत्रकारिकता के नियमों और मूल्यों के "क्षरण" पर भी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने मीडिया रिपोर्टिंग में तटस्थता और निष्पक्षता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि समाचारों को विचारों के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए।

नायडू ने जोर देकर कहा, "मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसकी तटस्थता, वस्तुनिष्ठता एवं निष्पक्षता भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा कि नागरिक केंद्रित और उत्तरदायी शासन के लिए लोगों और सरकारों के बीच निरंतर संवाद की आवश्यकता है। नायडू ने कहा कि नीति निर्माण और क्रियान्वयन दोतरफा प्रक्रिया होनी चाहिए जिसमें हर स्तर पर लोगों की भागीदारी हो।

नायडू ने यहां 2018 और 2019 बैच के भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए सरकारों तथा नागरिकों के बीच की खाई को पाटने में संचार की भूमिका पर प्रकाश डाला।

नायडू ने कहा कि लोकतंत्र में, लोगों को सरकार की नीतियों और पहलों के बारे में उनकी मातृ में समय पर जानकारी के माध्यम से सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)