देश की खबरें | ममता बनर्जी के साथ मेरा रिश्ता भाई-बहन जैसा: धनखड़
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ 'टकराव' को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को यहां कहा कि उन दोनों में भाई-बहन जैसा गहरा रिश्ता है।
जयपुर, 25 मार्च पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ 'टकराव' को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को यहां कहा कि उन दोनों में भाई-बहन जैसा गहरा रिश्ता है।
धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा में ‘संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल एवं विधायकों की भूमिका' विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसी भी परिस्थिति में किसी के भी कहने पर संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री बनर्जी के साथ टकराव वाली अनेक स्थितियों का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा कि कि वह संवैधानिक सीमा से परे कुछ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मन में बड़ी पीड़ा होती है और मैं चिंता और चिंतन दोनों करता हूं कि मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल सार्वजनिक रूप से कैसे लड़ सकते हैं? मेरा अथक प्रयास रहा है और आगे भी रहेगा कि राज्यपाल की हैसियत से मैं सरकार की मदद करूं, कंधे से कंधा मिलाकर सरकार का सहयोग करूं लेकिन एक पक्ष से यह संभव नहीं है।’’
उन्होंने सात मार्च की देर रात बाद दो बजे पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा का सत्र आहूत करने को लेकर हाल के विवाद का जिक्र भी किया। बाद में नए कैबिनेट प्रस्ताव में इस समय को बदलकर अपराह्न दो बजे कर दिया गया था।
समय को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब 24 फरवरी को धनखड़ ने ममता बनर्जी कैबिनेट के एक प्रस्ताव के आधार पर सात मार्च को रात दो बजे विधानसभा का सत्र बुलाया, जिसे बाद में टंकण संबंधी त्रुटि के रूप में स्पष्ट किया गया था।
धनखड़ ने कहा, ‘‘लोगों को भले ही जानकारी न हो लेकिन मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध बहुत मजबूत हैं ... भाई-बहन जैसा रिश्ता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि मुझे सरकार के मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक के रूप में कार्य करना है। लोकतंत्र में मुख्यमंत्री का दर्जा बहुत बड़ा होता है, मुख्यमंत्री के पीछे लोगों की स्वीकृति होती है। यह जनादेश बहुत बड़ा है।’’
पश्चिम बंगाल सरकार विशेष रूप से मुख्यमंत्री बनर्जी के साथ टकराव की खबरों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने बहुत बार कहा है और आज देश के एक वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्तित्व के सामने भी कह रहा हूं ... मैंने माननीय मुख्यमंत्री (बनर्जी) जी को बुलाया और कहा कि आप देश की जानी मानी नेता हैं। इनका (मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का) नाम लिया और कहा कि इस श्रेणी में तीन-चार से ज्यादा लोग नहीं हैं। केंद्र मुझे जो भी सुझाव देगा, मैं उसे बहुत गंभीरता से लूंगा। मेरा प्रयास रहेगा कि उसके अनुरूप कार्य हो, बशर्ते उसमें कोई संवैधानिक बाधा नहीं हो।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘मेरा पूरा विश्वास है कि इस महान देश का नागरिक होने एवं एक राज्य का संवैधानिक प्रमुख होने के नाते, मैं अपना निर्देश केवल संविधान से लेता हूं। मैं किसी और से दिशानिर्देश नहीं लेता। मेरा पूरा जोर संविधान को सर्वोपरि रखना है। मेरा काम इसकी सुरक्षा और इसका बचाव करना है... ऐसी स्थिति मैं मुझे मीडिया में 'प्रोएक्टिव' कहा गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ‘प्रोएक्टिव’ राज्यपाल कहा गया.. मैं नहीं हूं ...मैं तो एक ‘कॉपीबुक’ राज्यपाल हूं। मैं तो विधि के शासन में विश्वास करता हूं। मैं किसी भी परिस्थिति में, किसी के भी कहने पर संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन नहीं करूंगा।’’
धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल एवं विधायक बहुत बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो बहुत चिंता एवं चिंतन का विषय है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को संवैधानिक दायित्वों के अलावा कोई ऐसा काम नहीं दिया जाना चाहिए जिससे उनका राज्य सरकार के साथ टकराव की स्थिति पैदा हो।
इस संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में किया गया था। इस अवसर पर 2019 के लिये विधायक ज्ञानचंद पारख, वर्ष 2020 के लिये विधायक संयम लोढ़ा और वर्ष 2021 के लिये विधायक बाबूलाल और विधायक मंजू देवी को 'सर्वश्रेष्ठ विधायक सम्मान' से सम्मानित किया जायेगा।
कार्यक्रम में राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित विधायक, पूर्व विधायक गण मौजूद थे।
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