जरुरी जानकारी | मंडियों में कम आवक और मांग बढ़ने से सरसों दाना में सुधार, बाकी खाद्यतेलों की कीमतें पूर्ववत

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल आयातित तेलों के मुकाबले काफी सस्ता होने के कारण मांग बढ़ने के साथ किसानों के द्वारा मंडियों में ऊपज कम लाने से घरेलू तेल तिलहन बाजार में सरसों दाना के भाव में 10 रुपये प्रति क्विन्टल का सुधार देखा गया जबकि सामान्य कारोबार के बीच सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओं और पामोलीन जैसे बाकी खाद्यतेलों की कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुई।

बाजार सूत्रों के अनुसार सरसों तेल, आयात किये जाने वाले सोयाबीन डीगम, सीपीओ के मुकाबले कहीं सस्ता बैठता है। सस्ता होने की वजह से इसमें बाकी तेलों की मिलावट नहीं हो रही है और उपभोक्ताओं को शुद्ध देशीतेल खाने को मिल रहा है जिसकी विशेषकर उत्तर भारत में काफी खपत होती है। ऐसी स्थिति में बढ़ते मांग के बीच किसान मंडियों में रोक रोक कर अपनी ऊपज को ला रहे हैं जो सरसों में सुधार का प्रमुख कारण है।

दिल्ली के खाद्यतेल कारोबारी और विशेषज्ञ पवन कुमार गुप्ता ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति जारी रही, सरकार का समर्थन मिलता रहा, किसानों को अपनी तिलहन ऊपज की अच्छी कीमत मिलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब किसान, देश को तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाना सुनिश्चित कर दें।

उन्होंने कहा कि लगभग 35-40 साल पहले हरियाणा के कैथल, पंजाब के तरण तारन, हरियाणा-पंजाब के पुराली, उत्तर प्रदेश के हरदोई जैसे क्षेत्रों में इतनी तिलहन का उत्पादन होता था कि वह बाकी देश की जरुरतों को पूरा करने में सक्षम था। तेल कीमतों और मांग में तेजी के मौजूदा वैश्विक परिदृश्य के बने रहने और सरकार के प्रोत्साहन जारी रहने से हम एक बार फिर पुरानी आत्मनिर्भरता की स्थिति को हासिल कर सकते हैं।

गुप्ता ने कहा कि देश में तेल की कमी को पूरा करने के लिए प्रमुख तेल संगठनों की ओर से कई बार आयात शुल्कों में कमी किये जाने की मांग की जाती है लेकिन पिछले दिनों ऐसा करके सरकार विपरीत परिणाम देख चुकी है जहां देश में आयात शुल्क कम करते ही विदेशों में पाम तेल के दाम बढ़ा दिये गये और तेल कारोबारियों, किसानों और उपभोक्ताओं को इस कमी का कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि अगर किसानों को तेल के अच्छे दाम मिलते हैं या आयात शुल्क के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती है तो यह पैसा अंत में अर्थव्यवस्था को ही गति देगा, रोजगार बढ़ेंगे और तिलहन आयात पर किये जाने वाले खर्च को बचाकर हम निर्यात से लाभ भी कमा सकते हैं। मौजूदा समय में विदेशों में भरत के सरसों, सोयाबीन और मूंगफली के खल (डीओसी) की भारी मांग है, जिसका भारत को लाभ मिल सकता है।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 6,240 - 6,280 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 6,485 - 6,530 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 15,900 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,530- 2,590 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,030 -2,110 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,210 - 2,240 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 14,800 - 17,800 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,350 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,150 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,070 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,780 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,500 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,550 रुपये।

पामोलिन कांडला 12,600 (बिना जीएसटी के)

सोयाबीन दाना 6,450 - 6,500 रुपये: सोयाबीन लूज 6,350- 6,450 रुपये

मक्का खल 3,650 रुपये।

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