नयी दिल्ली, 28 नवंबर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि हिंदुओं को अदालतों का दरवाजा खटखटाने और मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांग करने का अधिकार है क्योंकि यह सच है कि इनमें से कई मस्जिद मुगल आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों के खंडहरों पर बनाई गई थीं।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद ऐसे विवादों को खत्म करने के लिए कदम उठाए होते तो हिंदुओं को राहत के लिए अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ता।
राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग को लेकर निचली अदालत में दायर याचिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसमें दिक्कत क्या है? यह सच है कि मुगल आक्रमणकारियों ने हमारे मंदिरों को ध्वस्त किया था… मंदिरों के खंडहरों पर मस्जिद बनाने का अभियान आक्रमणकारियों द्वारा चलाया गया था।’’
सिंह ने कहा, ‘‘अगर नेहरू ने आजादी के बाद ऐसे विवादों को खत्म करने के लिए कदम उठाए होते तो आज हमें अदालतों में याचिका दायर करने की जरूरत नहीं पड़ती।’’
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण करना कानूनी अधिकार है। सिंह ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल अदालत के निर्देश पर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने सपा सांसद रामगोपाल यादव द्वारा दरगाह और संभल मस्जिद के सर्वेक्षण की मांग वाली याचिकाओं को ‘‘साजिश’’ बताए जाने पर समाजवादी पार्टी की आलोचना भी की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह रामगोपाल यादव की पार्टी के डीएनए में है... वे हिंदुओं पर गोली चलाने, उनके अधिकार छीनने की बात करते हैं। मुलायम सिंह यादव ने ऐसा तब किया था जब वह (उत्तर प्रदेश के) मुख्यमंत्री थे। वे वोट के लिए मुसलमानों को खुश करना चाहते हैं।’’
सिंह ने पूछा, ‘‘हिंदू कहां जाएंगे?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ‘‘हिंदुओं के दमन’’ की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘उनके पास अब भी सबक सीखने का समय है। देश का मूड उनके पक्ष में नहीं है।’’
राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने कहा था कि सर्वेक्षण की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर करना ‘‘देश में आग लगाने की साजिश’’ है।
उन्होंने संसद परिसर में भाजपा पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, ‘‘लोग सत्ता में बने रहने के लिए देश को नष्ट करना चाहते हैं।’’
इस बीच, विपक्षी दलों द्वारा अजमेर अदालत के निर्देश की आलोचना किए जाने के मुद्दे पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि मामला विचाराधीन है।
हालाँकि, उन्होंने उपासना स्थल अधिनियम के प्रावधानों के बारे में विपक्षी नेताओं की समझ पर सवाल उठाया और कहा कि इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए उन्हें कानून को ‘‘सावधानीपूर्वक’’ पढ़ना चाहिए।
उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसमें कोई बंधन नहीं है। अगर सबूत है तो इसकी समीक्षा की जा सकती है।’’
माकपा ने याचिका पर विचार करने के अदालत के फैसले को ‘‘अनुचित’’ बताया और मामले में उच्चतम न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
वामपंथी दल ने एक बयान में कहा, ‘‘यह उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है, जो यह कहता है कि 15 अगस्त, 1947 से पहले मौजूद किसी धार्मिक स्थान पर कोई कानूनी विवाद नहीं उठाया जा सकता है।’’
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी समेत सभी भारतीय प्रधानमंत्रियों ने अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाई थी और सूफी दरगाह को मंदिर बताने का विवाद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा तथा आरएसएस से जुड़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सब कहां रुकेगा? उपासना स्थल अधिनियम, 1991 का क्या होगा?’’
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने इस घटनाक्रम को ‘‘चिंताजनक’’ बताया और कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए देश को कहां ले जाया जा रहा है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)