जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में भारी गिरावट से अधिकांश तेल-तिलहन कीमतें टूटीं

नयी दिल्ली, चार जून विदेशी बाजारों में भारी गिरावट के बीच देश की मंडियों में मंगलवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव धराशायी होते दिखे तथा सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के थोक भाव हानि दर्शाते बंद हुए। दूसरी ओर महंगा होने के बीच कम कारोबार के कारण मूंगफली तेल-तिलहन तथा बिनौला तेल पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज में 3.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात लगभग 2.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यह नुकसान में है। मलेशिया एक्सचेंज में 3.5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के बीच पाम, पामोलीन तेल के दाम धराशयी हो गये।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था हाफेड द्वारा सरसों बिकवाली के लिए निविदा लाने की कोशिशों के बीच सरसों किसानों में घबराहट और उहापोह का माहौल है और इससे इसकी कीमतों में घट-बढ़ दिख रही है। सरसों के भाव आयातित खाद्य तेलों से लगभग 17-18 रुपये किलो ऊंचे हैं और इस वजह से बाजार में उसके खपने को लेकर चिंता है। इस दिशा में सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल की अपेक्षा की जा रही है नहीं तो आगे इसकी खेती प्रभावित होने की खतरा है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह सोयाबीन किसान भी परेशान हैं क्योंकि किसानों की उपज खप नहीं रही है। इस न खपने की स्थिति को देखते हुए आगे जाकर सोयाबीन और कपास की खेती कम रह सकती है। सबसे मुश्किल तो खल की होने वाली है क्योंकि बिनौले के नकली खल ने कपास किसानों को परेशान कर रखा है और इसपर कोई अंकुश लगाने की पहल नहीं दिख रही है।

सूत्रों ने कहा कि देश में पशु आहार में उपयोग होने वाले बिनौले खल की सालाना मांग लगभग 140 लाख टन की है और वायदा कारोबार के प्रमुख एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के पास लगभग 70 हजार टन बिनौले खल का ही स्टॉक है। उन्होंने सवाल किया कि क्या 70 हजार टन का स्टॉक देश की 140 लाख टन खल की सालाना जरुरत को पूरा कर देगा? इस स्थिति को देखकर लगता है कि आगे जाकर खल की किल्लत होगी और इसे किसी भी तरह से आयात से पूरा करना मुश्किल है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा कुछ हजार टन खल का ही आयात हो सकता है। जिस तरह अभी हाल ही में अमूल ने अपने दूध के दाम बढ़ाये हैं वह कहीं ना कहीं खल की दिक्कत को सामने लाता है। देश में सबसे अधिक खल (देश की जरुरत के लगभग 60 प्रतिशत से अधिक) कपास से निकलने वाले बिनौले से ही प्राप्त होता है। ऐसे में नकली खल का कारोबार न सिर्फ कपास बल्कि खल उत्पादन पर भी गंभीर चोट कर रहा है। इसलिए बिनौले के नकली खल के कारोबार को सख्ती से निपटने की आवश्यकता है।

सूत्रों ने कहा कि एक तरफ तो खल की कमी या लागत अधिक होने से दूध के दाम तो बढ़ रहे हैं वहीं वायदा कारोबार में बिनौला खल के दाम हाजिर भाव से लगभग 20 प्रतिशत नीचे चलाये जा रहे हैं। वायदा कारोबार के इन महारथियों पर लगाम कसने की आवश्यकता है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,900-5,960 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,845-1,945 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,845-1,960 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,075 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,690-4,710 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,490-4,610 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

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