विदेश की खबरें | पर्यावरण के क्षेत्र से जुड़ी नौकरी करना चाहते हैं अधिकतर भारतीय युवा: सर्वे

लंदन, 29 जून ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स द्वारा स्थापित प्रिंस ट्रस्ट द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पता चला है कि भारतीयों समेत दुनियाभर के युवा ऐसी नौकरी चाहते हैं, जिससे विश्व की कुछ बड़ी चुनौतियों को हल करने में मदद की जा सके।

एचएसबीसी द्वारा समर्थित अंतरराष्ट्रीय अध्ययन रिपोर्ट 'फ्यूचर ऑफ वर्क' के प्रारंभिक निष्कर्षों में पता चला है कि भारत में 85 प्रतिशत युवा ग्रीन नौकरी यानी पर्यावरण के क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में रुचि रखते हैं, हालांकि इस क्षेत्र में केवल 4 प्रतिशत ही मुख्यतः नौकरी कर रहे हैं। सर्वेक्षण में शामिल 84 प्रतिशत भारतीय युवाओं का मानना है कि उनकी पीढ़ी समाज की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान कर सकती है।

प्रिंस चार्ल्स ने कहा, ''युवा लोग जलवायु संकट और जैव विविधता संकट को रोकने और इससे निपटने के प्रयासों में परिवर्तन के सूत्रधार बनना चाहते हैं। मेरा मानना ​​है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि यदि संभव हो तो इसे हासिल करने में मदद करें।''

प्रिंस चार्ल्स ने पिछले हफ्ते लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में एक कार्यक्रम में यह बात कही। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत के नेताओं ने इस बात पर चर्चा की कि व्यापार भविष्य के लिए स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करने में क्या भूमिका निभा सकता है।

भारत सहित चार महाद्वीपों में युवाओं के बीच किये गए सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि युवा जलवायु संकट की स्थिति में परिवर्तन के सूत्रधार बनना चाहते हैं।

सर्वेक्षण के परिणाम बताते हैं कि भारत में सर्वेक्षण में शामिल पांच में से चार (83 प्रतिशत) युवा उस कंपनी या क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रभाव पर विचार करेंगे, जिसमें वे नौकरी करना चाहते हैं।

डिजिटल जैसे उभरते उद्योग भी युवाओं के एजेंडे में उच्च स्थान पर रहे। 83 प्रतिशत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़े क्षेत्र में नौकरी करने की इच्छा प्रकट की।

अंतरराष्ट्रीय प्रिंस ट्रस्ट का कहना है कि वह भारत में 2018 से कार्यरत है और स्थानीय सहयोगियों जैसे मैजिक बस और आगा खान फाउंडेशन के साथ मिलकर देशभर के युवाओं को सीखने और काम पाने में मददगार उद्यमिता और रोजगार से जुड़े कार्यक्रम संचालित करता है।

ब्रिटेन में 1976 में स्थापित किए गए प्रिंस ट्रस्ट का कहना है कि वह फिलहाल 18 देशों में मौजूद है और उसने 10 लाख युवाओं की काम, शिक्षा और प्रशिक्षण में मदद की है।

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