जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह अधिकांश खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में मिला-जुला रुख

नयी दिल्ली, 19 फरवरी बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कारोबार का मिला-जुला रुख रहा। सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में जहां पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट दर्ज हुई, वहीं मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार रहा। बाकी तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में मंडियों में सरसों की आवक शुरू होने के बीच सरसों तेल-तिलहन में नुकसान दर्ज किया गया। साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने भी कहा है कि नवंबर से शुरू होने वाले नये तेल वर्ष के पहले तीन महीनों में जिस कदर काफी अधिक मात्रा में सॉफ्ट ऑयल (सूरजमुखी तेल) का आयात हो चुका है और उससे अगले चार महीनों तक तेल की कमी नहीं होने वाली है। इस साल लोगों ने खाद्य तेल मामले में इतनी मार खायी है कि कोई शायद ही इसका भंडारण करे क्योंकि वे अब जोखिम लेने की स्थिति में नहीं रह गये हैं।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने के बीच सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट रही। जबकि आयात बढ़ने और और ब्राजील में सोयाबीन के बंपर उत्पादन की खबर के बाद यहां सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतें भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट के साथ बंद हुईं। मूंगफली तो अब ‘ड्राई फ्रूट’ जैसा हो चला है और मांग होने से इसमें सुधार है। दूसरी ओर पिछले सप्ताह मलेशिया एक्सचेंज में सुधार रहने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव में समीक्षाधीन सप्ताह में मामूली सुधार रहा।

सूत्रों ने कहा कि एक तेल विशेषज्ञ ने अपनी राय दी है जो सही भी है कि जब विदेशों में सूरजमुखी तेल के दाम 2,450-2,500 डॉलर प्रति टन का था तो आयात शुल्क 5.50 प्रतिशत लगाया जा रहा था मगर आज जब विदेशों में इस तेल का दाम 1,215 डॉलर प्रति टन रह गया है तो कोई आयात शुल्क नहीं लग रहा है। यह अजीबोगरीब बात है। देश के बाजारों में सूरजमुखी बीज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 25 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। इसी आयात शुल्क के बेमौसम घट-बढ़ के कारण जिस देश में वर्ष 1993-94 के दौरान सूरजमुखी का उत्पादन 26.70 लाख टन का हुआ करता था मौजूदा समय में वह घटकर 2.70 लाख टन रह गया है। आयात शुल्क में अनिश्चितता बने रहने के कारण किसानों ने धीरे-धीरे सूरजमुखी की खेती से ही हाथ खींच लिए। अगर यही हाल बना रहा तो बाकी उत्पादन भी प्रभावित होने का खतरा है। वर्ष 1992-1993 में देश कभी तेल तिलहन मामले में लगभग आत्मनिर्भर हो गया था लेकिन असमंजस वाली नीतियों के कारण आज देश की आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है।

सूत्रों ने कहा कि देश में दूध का कारोबार अभिन्न रूप से तेल-तिलहन उद्योग से नजदीक से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1971-72 में सरकारी बिक्री वाले दूध का दाम 58 पैसे लीटर था अभी यह दाम 50-55 रुपये लीटर है। वर्ष 1971-72 में खाद्य तेलों का थोक दाम 6-7 रुपये किलो था जो औसत थोक दाम अब लगभग 105-110 रुपये किलो है। इन्हें प्रतिशत में देखा जाये तो जिस रफ्तार से दूध के दाम बढ़े हैं खाद्य तेल के दाम उस गति से नहीं बढ़े।

सूत्रों ने कहा कि भविष्य में खाद्य तेलों को बेलगाम होने से बचाने के लिए सरकार को आयात शुल्क को घटाने या बढ़ाने के बजाय निजी कारोबारियों के माध्यम से खाद्य तेलों का आयात कर उनका प्रसंस्करण करने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये बिकवाना चाहिये ताकि आम उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिल सके।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 70 रुपये टूटकर 5,835-5,885 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 100 रुपये घटकर 12,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 20-20 रुपये घटकर क्रमश: 1,950-1,980 रुपये और 1,910-2,035 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव भी क्रमश: 20-20 रुपये घटकर क्रमश: 5,450-5,580 रुपये और 5,190-5,210 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 110 रुपये, 70 रुपये और 50 रुपये टूटकर क्रमश: 12,350 रुपये, 12,080 रुपये और 10,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी सुधार देखने को मिला। मूंगफली तिलहन का भाव 300 रुपये बढ़कर 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। एक सप्ताह पहले के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 1,100 रुपये बढ़कर 16,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 120 रुपये बढ़कर 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में तेल के दाम में सुधार के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) में 200 रुपये की मजबूती आई और यह 8,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये की मामूली बढ़त के साथ 10,450 रुपये पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला का भाव भी 10 रुपये का लाभ दर्शाता 9,460 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताह में 150 रुपये टूटकर 10,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

राजेश

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