नयी दिल्ली, 30 जून राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों के 75 फीसदी से अधिक मामले जून में सामने आए। अनलॉक-1 के दौरान पाबंदियों में ढील के बाद यह तेजी देखी गई।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, एक जून से 30 जून के बीच संक्रमण के 66,526 नये मामले सामने आए।
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फिलहाल दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले 87,360 तक पहुंच गये हैं जो देश के शहरों में सर्वाधिक मामले हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तुलना करें तो कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या के हिसाब से दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद तीसरे स्थान पर है।
यहां फिलहाल 26,270 मरीजों का उपचार चल रहा है जबकि अबतक 2,742 मरीजों की मौत हो चुकी है।
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जून के महीने में करीब 49,470 मरीज स्वस्थ हुए, जिनमें से 40,000 से अधिक पिछले दो सप्ताह में ठीक हुए हैं।
दिल्ली में मरीजों के स्वस्थ होने की दर 66 फीसदी है जोकि देश के 60 फीसदी की दर से बेहतर है।
इस माह के प्रारंभ में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि दिल्ली में कोरेाना वायरस संक्रमण के आंकड़े 30 जून तक एक लाख को छू सकते हैं तथा 31 जुलाई तक मामले साढ़े पांच लाख तक पहुंच जायेंगे।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज जारी बुलेटिन के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 2,199 नए मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों की कुल संख्या 87,360 हो गई जबकि 62 और मौतों के साथ मृतक संख्या बढकर 2,742 तक पहुंच गई।
वहीं, मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस की स्थिति पर कहा, ‘‘दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत संभली हुई स्थिति में है। समय पर किए गए लॉकडाउन और अन्य फैसलों ने भारत में लाखों लोगों का जीवन बचाया है। लेकिन हम ये भी देख रहे हैं कि जब से देश में अनलॉक-1 हुआ है, व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार में लापरवाही भी बढ़ती ही चली जा रही है ।’’
उधर, अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार ‘अनलॉक 2’ के केंद्र के दिशानिर्देशों का पालन करेगी। दिल्ली में स्कूल 31 जुलाई तक बंद किए जाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रो सेवाएं सरकार द्वारा जारी ‘अनलॉक 2’ दिशानिर्देशों के मद्देनजर अगली सूचना तक यात्रियों के लिए बंद रहेंगी।
जब यहां तेजी से कोविड-19 के मामले बढने लगे तब दिल्ली ने परीक्षण काफी बढ़ा दिया गया और तब ज्यादातर तीव्र एंटीजन प्रविधि की इजाजत दी गयी। शहर में कोविड-19 का पहला मामला एक मार्च को आया था।
यहां कोरोना वायरस के आंकड़े को 1000 के पार जाने में करीब 41 दिन लगे और 18 मई को यह 10000 के पार चला गया।
एक जून को जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार दिल्ली में कोरोना वायरस के कुल मामले 20,834 थे। तबतक मामले 1000 अंक के दायरे में बढ़ रहे थे।
लेकिन तब से रोज कोरेाना वायरस के 2000 से अधिक नये मामले सामने आने लगे और संक्रमितों का आंकड़ा 14 जून को महज 14 दिनों में दोगुना होकर 41,182 हो गया। सत्ताईस जून तक यह सीधे 80,188 हो गया। जून में 13 से लेकर 27 तारीख तक सात ऐसे दिन थे जब रोजाना 3000 से अधिक नये मामले सामने आये।
इस दौरान अच्छी बात यह रही कि बड़ी संख्या में मरीज स्वस्थ भी हुए। जून में 47,357 मरीज स्वस्थ हुए जिनमें 40000मरीज 15 से 29 जून के बीच ठीक हुए।
यहां कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने की दर 29 जून को 66.03 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो राष्ट्रीय औसत 58.67 फीसदी से अधिक है।
ऐसे समय में जब दिल्ली कोविड-19 के आंकड़े में मुम्बई से आगे निकल गयी तब यहां स्वस्थ होने की दर भी बहुत तेजी से बढ़ी। दिल्ली में 19जून को रोगियों के ठीक होने के दर 44.37 प्रतिशत थी जो अगले दिन 55.14 फीसद हो गयी।
दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए अपने तरह के पहले ‘प्लाज्मा बैंक’ स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी और उसके तौर तरीके तैयार किये जा रहे हैं।
यह बैंक दिल्ली सरकार द्वारा संचालित यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएबीएस) में स्थापित किया जा रहा है तथा डॉक्टरों एवं अस्पतालों को मरीज की जरूरत को देखते हुए प्लाज्मा के लिए यहां संपर्क करना होगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि यह बैंक अगले दो दिनों में काम करने लगेगा।
यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इस प्लाज्मा थेरेपी के यहां के अस्पतालों में उत्साहजनक नतीजे सामने आये हैं।
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