नागपुर, 27 अक्टूबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता सुप्रिया सुले ने शुक्रवार को कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार ही थी, जिसने पार्टी के संस्थापक शरद पवार को कृषि क्षेत्र में उनके काम के लिए देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
सुले का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए राकांपा संस्थापक के योगदान पर सवाल उठाया था। अहमदनगर जिले के शिरडी में बृहस्पतिवार को अपने संबोधन के दौरान मोदी ने राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम लिए बिना कहा था, ‘‘महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति की। महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता देश के कृषि मंत्री रह चुके हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने किसानों के लिए क्या किया?’’
शरद पवार केंद्र में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार (2004-14) के दौरान कृषि मंत्री रहे थे। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि जब पवार केंद्रीय कृषि मंत्री थे तब किसानों को बिचौलियों की दया पर निर्भर रहना पड़ता था।
सिंधुदुर्ग जिले में पत्रकारों से बातचीत में सुले ने कहा कि जब भी प्रधानमंत्री महाराष्ट्र आते हैं, वे राकांपा को ‘‘भ्रष्ट पार्टी’’ करार देते हैं। सुले ने कहा कि बृहस्पतिवार को मोदी ने पहले की तरह राकांपा को भ्रष्टाचार से नहीं जोड़ा।
बारामती से सांसद सुले ने कहा, ‘‘पवार साहब को कृषि और राजनीति में उनके काम के लिए मोदी सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।’’
इससे पहले, राज्य के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नोदी ने जब किसानों के लिये राकांपा प्रमुख के योगदान पर सवाल उठाया था तब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को विरोध में मंच छोड़ कर चले जाना चाहिए था, या उनके बयान को दुरुस्त कराना चाहिए था।
राकांपा के शरद पवार खेमे से ताल्लुक रखने वाले देशमुख ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि मोदी ने जब उनकी पार्टी के संस्थापक के बारे में यह कहा, तब अजित पवार मंच पर मौजूद थे।
देशमुख ने कहा, ‘‘अजित दादा को (विरोध में) मंच छोड़ देना चाहिए था या प्रधानमंत्री मोदी को सही-सही जानकारी देनी चाहिए थी, ताकि वह अपने बयान (शरद पवार के खिलाफ) को दुरूस्त करते।’’
राकांपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अतीत में कृषक समुदाय के वास्ते योगदान के लिए शरद पवार की प्रशंसा की है।
देशमुख ने आरोप लगाया कि मोदी ने अब चुनाव से पहले अपना रुख बदल लिया है और मांग की कि प्रधानमंत्री, शरद पवार के संबंध में अपने बयान में सुधार करें।
इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और शरद पवार कृषि मंत्री थे (2004 और 2014 के बीच संप्रग शासन के दौरान), किसानों के 70,000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए गए थे।’’
ठाकरे ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बोलेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
राकांपा में दो जुलाई को विभाजन हो गया था और अजित पवार तथा आठ विधायक एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए थे।
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