नयी दिल्ली, 16 जुलाई देश में सस्ते खाद्य तेलों का आयात बढ़ने और देशी तेल-तिलहनों के बाजार में न खप पाने की स्थिति के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह कारोबार का मिला-जुला रुख रहा। समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन में जहां पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मजबूती दर्ज हुई, वहीं सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम टूट गए।
खाद्य तेलों के एक प्रमुख संगठन ‘मस्टर्ड आयल प्रोसेसिंग एसोशिएशन’ (मोपा) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा ने भी सस्ते खाद्य तेलों के बढ़ते आयात पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे तिलहन किसान हतोत्साहित हो सकते हैं और यह स्थिति देश में तिलहन खेती को प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा कि सस्ता आयातित खाद्य तेल हमें फायदे की जगह नुकसान दे सकता है और सरकार को आयातित सस्ते खाद्य तेल पर अंकुश लगाने के बारे में सोचना चाहिये क्योंकि देश की तेल की कई पेराई मिलें बंद चुकी हैं।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि अपनी खाद्य तेल जरूरतों के लिए लगभग 55-60 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश में खाद्य तेल मिलें न चलें और देशी तिलहन न खपे, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
सूत्रों ने कहा कि बेकरी कंपनियों की मांग के कारण कच्चे पामतेल (सीपीओ) के भाव मजबूत रहे जबकि पामोलीन तेल के भाव में मामूली घट-बढ़ रही।
सूत्रों ने कहा कि निर्यात का बाजार होने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में मजबूत रहे। सरसों की कुछ फसल कटाई के दौरान बरसात के चलते नमीग्रस्त है और बड़ी ब्रांडेड कंपनियां इसकी खरीद से हाथ खींच रही हैं। पूरी तरह से सूखे सरसों कम है और इसलिए इसके दाम में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सुधार है। लेकिन इसके साथ-साथ यह भी ध्यान में रखना होगा कि सस्ते आयातित तेलों की बाढ़ के बीच सरसों अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम दाम पर बिक रहा है।
सूत्रों ने कहा कि तिलहन खेती के रकबे में आई गिरावट देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिये। सस्ते आयातित तेलों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि देशी तिलहन खप सकें और देश की पेराई मिलें पूरी क्षमता से काम कर सकें जो काफी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराती हैं। इससे देश के लिए महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की भी बचत की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि आयात करने के बाद यही खाद्य तेल बंदरगाहों पर नीचे भाव में बेचे जा रहे हैं। यह स्थिति जरूरत से कहीं अधिक आयात होने के कारण है। इससे देशी तिलहनों का खपना और मुश्किल हो गया है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 225 रुपये सुधरकर 5,375-5,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 370 रुपये सुधरकर 10,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव 50-50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,745-1,825 रुपये और 1,745-1,855 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव 175-175 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,945-5,040 रुपये प्रति क्विंटल और 4,710-4,805 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 200 रुपये, 120 रुपये और 80 रुपये घटकर क्रमश: 10,050 रुपये, 9,880 रुपये और 8,320 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
निर्यात मांग की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 380 रुपये, 710 रुपये और 20 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,075-7,125 रुपये,17,380 रुपये और 2,510-2,785 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में बेकरी कंपनियों की मांग के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 50 रुपये सुधरकर 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव जहां 50 रुपये टूटकर 9,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, वहीं पामोलीन एक्स कांडला का भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 30 रुपये सुधरकर 8,480 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 9,100 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्वस्तर पर ही बंद हुआ।
राजेश
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