IIT Delhi : आईआईटी दिल्ली में आत्महत्याओं की रोकथाम के लिए छात्रों ने निदेशक रंगन बनर्जी से मुलाक़ात की
नई दिल्ली : आईआईटी दिल्ली में आत्महत्याओं की घटनाओं पर छात्र समुदाय ने चिंता जताई है. यहां हो रही आत्महत्याओं की घटनाओं की रोकथाम के उद्देश्य से छात्रों ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी से मुलाकात की. शुक्रवार को हुई मुलाकात के दौरान छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देने की मांग की गई.
नई दिल्ली :आईआईटी दिल्ली में आत्महत्याओं की घटनाओं पर छात्र समुदाय ने चिंता जताई है. यहां हो रही आत्महत्याओं की घटनाओं की रोकथाम के उद्देश्य से छात्रों ने आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी से मुलाकात की. शुक्रवार को हुई मुलाकात के दौरान छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देने की मांग की गई.
अभाविप के प्रतिनिधिमंडल ने छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए आईआईटी से कुछ सुझावों पर काम करने की मांग की है. आईआईटी से मांग की गई है कि नियमित ऐसी संगोष्ठी का आयोजन हो, जिसमें छात्रों के साथ शैक्षिक और गैर-शैक्षिक मुद्दों पर परस्पर बातचीत हो पाए. शिक्षक अपने प्रत्येक छात्र के पाठ्यक्रम और उसकी व्यक्तिगत समस्याओं की पहचान कर उसके निवारण की दिशा में कार्य करें. मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित चुनौतियों या व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रहे छात्रों के लिए संस्थान ऐसे साधन उपलब्ध कराए जो उनकी स्थिति को ठीक करने में सहायक हो.
अभाविप की शिवांगी खरवाल ने कहा कि 15 फरवरी को हुई वरद संजय नेरकर की आत्महत्या ने पूरे छात्र समुदाय को गहरे शोक और दुख में डाल दिया है. इस प्रकार की चिंताजनक घटनाओं का लगातार होना माता-पिता और छात्रों के विश्वास को कमजोर कर रहा है, हमारे प्रमुख संस्थान की छवि को नुक़सान पहुंचा रहा है.
छात्रों का मानना है कि ऐसी आत्महत्या की घटनाएं पूरे देश के छात्र समुदाय को एक नकारात्मक संदेश दे रही है. इन गंभीर परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए, संस्थान शीघ्र ही निर्णयकारी कदम उठाएं और आगे ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं न हो, इस दिशा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें.
अभाविप दिल्ली प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस प्रकार की बढ़ती हुई घटनाएं दुखद एवं चिंताजनक हैं. हमें परिसर में तनावमुक्त और आनंदमय वातावरण बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास करने की आवश्कता है. जिससे देश के निर्माण में हमारा युवा अपनी प्रभावशाली भागीदारी सुनिश्चित कर पाए. साथ ही मानसिक रुप से सशक्त और प्रभावी पीढ़ी का निर्माण हो सके.