नयी दिल्ली, 11 सितंबर : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक फैसले में कहा है कि विवाह का पंजीयन पक्षों की डिजिटल तरीके से उपस्थिति के जरिए भी हो सकता है. अदालत ने कहा कि आज के वक्त में नागरिकों को अपने अधिकारों का उपयोग करने से कानून की ‘कठोर व्याख्या’ के कारण नहीं रोका जा सकता है, जिसमें ‘व्यक्तिगत उपस्थिति’ का जिक्र किया गया है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने विवाह का यहां पर पंजीयन करवाने की अमेरिका में रह रहे एक भारतीय जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि व्यक्तिगत उपस्थिति को अनिवार्य आवश्यकता की तरह नहीं मानने से लोग अपने विवाह के पंजीयन के लिए प्रेरित होंगे.
न्यायमूर्ति ने नौ सितंबर के आदेश में कहा, ‘‘इस निष्कर्ष पर पहुंचने में मुझे कोई संकोच नहीं है कि पंजीयन आदेश के खंड चार में ‘व्यक्तिगत उपस्थिति’ शब्द में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थिति को भी शामिल माना जाना चाहिए. कोई और व्याख्या होने से इस लाभदायक कानून का न केवल उद्देश्य विफल होगा बल्कि इससे महत्वपूर्ण, सुगम एवं आसान वीडियो कॉन्फ्रेस का महत्व भी कम होगा.’’ अदालत ने इस जोड़े को पंजीकरण करने वाले प्राधिकार के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘व्यक्तिगत रूप से उपस्थित’ होने की इजाजत दे दी. यह भी पढ़ें : Maharashtra: भारी बारिश के बाद ठाणे के भाटसा बांध के पांच द्वार खोले गए
उसने दो गवाहों से कहा कि वे निर्दिष्ट तारीख पर अपने मूल पहचान पत्रों को लेकर पंजीकरण प्राधिकार के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों. इस मामले में, जोड़े ने कहा था कि उनका विवाह 2001 में हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था लेकिन वे इसका पंजीयन नहीं करवा पाए. विवाह प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण अमेरिका में उनका ग्रीन कार्ड आवेदन आगे नहीं बढ़ पाया तो उन्होंने यहां पर स्थानीय अधिकारियों से संपर्क किया. अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए दोनों पक्षों की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक है.