वृहद आंकड़ों, तिमाही नतीजों, कोविड-19 की स्थिति से तय होगी बाजार की दिशा
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नयी दिल्ली, 10 मई औद्योगिक उत्पादन तथा थोक व खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों, कंपनियों के तिमाही परिणामों तथा कोरोना वायरस महामारी से जुड़े घटनाक्रमों से इस सप्ताह शेयर बाजार की चाल तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय प्रकट की है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापार वार्ता के मद्देनजर निवेशकों की निगाहें वैश्विक संकेतों पर भी लगी रहेंगी।

इस सप्ताह वृहद आर्थिक मोर्चे पर औद्योगिक उत्पादन, थोक मुद्रास्फीति और खुदरा मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े जारी होने वाले हैं। सप्ताह के दौरान मारुति सुजुकी, नेस्ले इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक और बंधन बैंक जैसी बड़ी कंपनियों के मार्च तिमाही के वित्तीय परिणाम भी जारी होने वाले हैं।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख (खुदरा शोध) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘अभी तक के तिमाही परिणामों तथा कंपनियों के प्रबंधन की टिप्पणियों से पता चलता है कि आने वाले समय में भी कंपनियों के नतीजों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। हम उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में बाजार की चाल पर कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों की संख्या, कोरोना वायरस के टीके से जुड़ी खबरों तथा अर्थव्यवस्था को पुन: शुरू करने के सरकारी व नियामकीय प्रयासों का असर पड़ेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निवेशक अमेरिका और चीन के व्यापार तनाव से जुड़ी खबरों पर भी नजरें रखेंगे।’’

कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में करीब 60 हजार हो चुकी है। इस महामारी के कारण देश में अब तक करीब दो हजार लोगों की मौत भी हो चुकी है। वैश्विक स्तर पर इससे करीब 39 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 2,71,000 से अधिक लोगों की इसके कारण मौत हो चुकी है।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘‘कहने की जरूरत नहीं कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तथा निराशाजनक तिमाही परिणाम सत्र जैसे घरेलू कारक आगे भी बाजार की धारणा पर हावी रहेंगे।’’

उन्होंने कहा कि इस सप्ताह वृहद आर्थिक मोर्चे पर औद्योगिक उत्पादन, थोक मुद्रास्फीति और खुदरा मुद्रास्फीति के आधिकारिक आंकड़े जारी होने वाले हैं। शेयर बाजारों पर इनका भी असर पड़ेगा।

इस बीच सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिये कर्ज जुटाने के कार्यक्रम को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये करने की शुक्रवार को घोषणा की। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे राजकोषीय घाटा बजट में तय 3.5 प्रतिशत के लक्ष्य से बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 5.5 प्रतिशत पर पहुंच सकता है।

मिश्रा ने कहा कि निवेशक लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील देने तथा आर्थिक गतिविधियों को पुन: शुरू करने के विभिन्न देशों के प्रयासों पर भी गौर करेंगे।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘‘तिमाही परिणाम का सत्र सुस्त रहने की आशंका है। ऐसे में बाजार सरकार से एक अन्य राहत पैकेज की उम्मीद लगाये हुए है।’’

पिछले सप्ताह के दौरान सेंसेक्स में 2,074.92 अंक यानी 6.15 प्रतिशत की गिरावट रही।

विश्लेषकों ने कहा कि बाजार कच्चे तेल तथा डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर भी नजर रखेगा।

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