कोलकाता, 19 अक्टूबर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को आर.जी. कर अस्पताल में अपनी सहकर्मी के बलात्कार और हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से आमरण अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उनकी अधिकांश मांगों पर विचार किया जा चुका है।
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को हटाने की जूनियर डॉक्टरों की मांग को अस्वीकार कर दिया।
मुख्य सचिव मनोज पंत और गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती ने एस्प्लेनेड स्थित धरना स्थल का दौरा किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने फोन के जरिये प्रदर्शनकारी चिकित्सकों से बात करते हुए कहा, ‘‘हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं पड़ना चाहिए। मैं आप सभी से अनुरोध करूंगी कि आप अपना अनशन वापस ले लें।’’
कनिष्ठ चिकित्सक अन्य मांगों के साथ राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को हटाने की मांग कर रहे हैं।
निगम को हटाने की मांग पर चिकित्सकों की हताशा को स्वीकार करते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि मैंने स्वास्थ्य सचिव को क्यों नहीं हटाया। एक ही बार में एक विभाग में सभी को हटाना संभव नहीं है। हमने पहले डीएचएस और डीएमई को हटा दिया था। कृपया राजनीति से ऊपर उठें और काम पर वापस लौटें।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘आप कैसे तय कर सकते हैं कि किस अधिकारी को हटाया जाएगा या नहीं? क्या यह तर्कसंगत है?’’
कनिष्ठ चिकित्सक पीड़िता के लिए न्याय और राज्य के स्वास्थ्य सेवा ढांचे में व्यवस्थागत बदलाव की मांग को लेकर दो सप्ताह से आमरण अनशन पर हैं।
अब तक अनशन कर रहे छह चिकित्सकों को बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं, उनकी मांग है कि राज्य सरकार गतिरोध को दूर करने के लिए 21 अक्टूबर तक रचनात्मक कार्रवाई करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सकों को अपना अनशन वापस ले लेना चाहिए और सोमवार को राज्य सचिवालय नबान्न में उनसे मिलकर अपनी मांगों पर आगे चर्चा करनी चाहिए।
बनर्जी ने कहा, ‘‘मैंने पुलिस आयुक्त (सीपी), चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) को हटा दिया है, लेकिन मैं विभाग में सभी को नहीं हटा सकती।’’
उन्होंने कहा,‘‘आपकी कुछ मांगों पर नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है। हम यथासंभव सहयोग करेंगे, लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है कि आप सरकार को निर्देश दें कि क्या किया जाना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर हड़ताल के प्रभाव को रेखांकित करते हुए उनसे जिम्मेदारी की भावना दिखाने की अपील की।
उन्होंने कहा,‘‘लोग इलाज के लिए आप पर निर्भर हैं। गरीब लोग कहां जाएंगे? सरकारी अस्पतालों में उनका मुफ्त इलाज होता है। कृपया मेरे पद को भूल जाएं और मुझे अपनी ‘दीदी’ समझें। ये आपकी जायज मांगें हैं, लेकिन आपको लोगों की सेवा करनी चाहिए।’’
आंदोलनकारी चिकित्सकों के साथ राज्य भर के उनके सहकर्मी भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे 22 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल में सभी चिकित्सा पेशेवरों की हड़ताल आयोजित कर विरोध को और तेज कर देंगे।
चिकित्सक मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल आयोजित करने के बारे में अन्य राज्यों के अपने समकक्षों के साथ चर्चा कर रहे हैं ताकि पश्चिम बंगाल सरकार पर दबाव बढ़ाया जा सके।
बनर्जी ने उन्हें आश्वस्त किया कि मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सीबीआई आपको न्याय दिलाएगी।’’
चिकित्सक स्वास्थ्य सचिव निगम को हटाने के अलावा चिकित्सा महाविद्यालयों में चुनाव कराने की भी मांग कर रहे हैं।
बनर्जी ने चुनाव की मांग को स्वीकार किया, लेकिन आगामी दिवाली समारोह और राज्य में उपचुनावों का हवाला देते हुए और समय मांगा। उन्होंने कहा,‘‘कृपया मुझे तीन से चार महीने का समय दीजिए, जो छात्र चुनाव कराने के लिए आवश्यक है।’’
मुख्यमंत्री ने हालांकि तीन से चार महीने के भीतर उनकी अधिकांश चिंताओं का समाधान करने का वादा किया है, लेकिन डॉक्टर तत्काल कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं।
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