जमशेदपुर, 26 जनवरी टाटा तीरंदाजी अकादमी की कोच पूर्णिमा महतो ने अपना पद्मश्री सम्मान अपने पूरे खेल कैरियर में सहयोग के लिये परिवार को समर्पित किया है. उन्होंने पीटीआई से कहा ,‘‘ मैने सोचा भी नहीं था कि यह सम्मान मिलेगा. जब बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन आया तो मुझे लगा कि कोई मजाक कर रहा है.’’ यह भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस के अवसर पर डेविड वार्नर ने भारतवासियों को दीं शुभकामनाएं, देखें खुबसूरत इंस्टाग्राम पोस्ट
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं उस समय पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन के राष्ट्रीय मतदाता शपथ कार्यक्रम में थी जब गृह मंत्रालय से बार बार फोन आये. कार्यक्रम के बीच में होने से मैं जवाब नहीं दे सकी. बाद में बाहर आकर मैने फोन उठाया लेकिन शोर के कारण सुन नहीं सकी.’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने पद्मश्री शब्द सुना और मांगने पर अपना पता दे दिया.’’
उन्होंने कहा ,‘‘ इस पुरस्कार से मैं गौरवान्वित हूं. मैं इसे अपने दिवंगत माता पिता , अपने परिवार, सास ससुर को समर्पित करूंगी. इन सभी ने मुझे पूरे कैरियर में सहयोग दिया और प्रेरित किया.’’
महतो ने कहा ,‘‘ मैं जो कुछ भी आज हूं, अपने परिवार की वजह से हूं. जब भी मैं खेल के लिये बाहर जाती तो मेरे बच्चों और पति को घर चलाने में काफी दिक्कत आती थी लेकिन उन्होंने मेरा साथ नहीं छोड़ा.’’
महतो ने दस साल की उम्र से खेलना शुरू किया और 1993 में बैंकॉक में अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप (अब एशिया कप) में टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय रिकर्व टीम का हिस्सा रही. उन्होंने एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी भाग लिया. वह 2000 में टाटा तीरंदाजी अकादमी में कोच बनी.
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